भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू | First tribal woman president of india

द्रौपदी मुर्मू जी भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में चुनी गई है। भारतीय इतिहास में सविधान के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाली प्रथम आदिवासी महिला एवं दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई है। उन्हें NDA की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया था। उन्होंने UPA के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया है। 24 जुलाई 2022 को 14वें राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, जिसके बाद शपथ ग्रहण के साथ ही वे देश की 15वें क्रम की राष्ट्रपति बन जाएंगी। आदिवासी क्षेत्र से रायसीना हिल तक का सफर तय करने में उन्हे अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। अपने वर्तमान राजनीतिक करियर में उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए है, जिसके लिए उन्हें 2007 में, उड़ीसा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार प्रदान किया गया है।


भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  | Draupadi Murmu, 15th President of India


    जानिए द्रौपदी मुर्मू के परिवार, शिक्षा, राजनीतिक जीवन के बारें में -

    • द्रौपदी मुर्मू जी का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मंयूरभंज में हुआ था। वे उपेबेड़ा गांव की एक आदिवासी परिवार की है, उनके पिता गांव के ग्राम प्रधान थे। उन्होंने रमादेवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से B.A. में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है।
    • उनका विवाह श्यामचरण मुर्मू से हुआ था जिनकी 2014 में मृत्यु हो गई। द्रौपदी मुर्मू जी के दो पुत्र व एक पुत्री हैं, जिनमें से उनके दोनों पुत्रों का निधन हो गया है।
    • द्रौपदी मुर्मू जी राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक स्कूल की शिक्षिका थी। उन्होंने आगे चलकर सहायक प्रोफेसर के रूप में श्री अरबिंदो इन्टिग्रल एजुकेशन एण्ड रिसर्च इंस्टिट्यूट रायरंगपुर में काम किया।
    • उनका राजनीति में आगमन सन् 1997 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से पहली बार रायरंगपुर नगर पंचायत से पार्षद बनने से हुई। रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से सन् 2004 में विधायक के रूप में चुनी गई। वर्तमान में 2015 से झारखण्ड के राज्यपाल के रूप में पदभार संभालने के साथ ही वे झारखण्ड की पहली महिला राज्यपाल भी बन गईं थी। झारखण्ड में राज्यपाल के पद पर रहते हुए द्रौपदी मुर्मू जी ने छोटा नागपुर टेनेसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट 1949 में संशोधन की माँग वाले अनुमोदन बिल को मंजूरी देने से इनकार कर आदिवासियों के हितो की रक्षा की थी।

    राष्ट्रपति पद से संबंधित विषय में कई प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं सिविल सेवाओं की परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं अतः राष्ट्रपति के बारे में, योग्यताएँ, चुनाव प्रक्रिया, मत मूल्य का निर्धारण आदि के बारें में जानकारी दी गई है।


    प्रश्न - भारत के राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को सोदाहरण समझाइए।
    Que. - Explain with example the election procedure of President of India.
    CGPSC Mains 2017

    राष्ट्रपति के बारे में | About the President


    राष्ट्रपति राष्ट्र की एकता, अखण्डता एवं सुदृढ़ता का प्रतीक होता है, वह भारत का प्रथम नागरिक व राज्य का प्रमुख होता है। संविधाान के अनुच्छेद 52 के तहत भारत का एक राष्ट्रपति होगा। भारत में संघीय कार्यपालिका का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, तथा संघ की सभी कार्यपालिका शक्तियाँ उसमें निहित होती है, जिनका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं या अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से करता है।

    क्या होती है राष्ट्रपति की योग्यताएँ | What are the qualifications of the President  -

    • वह भारत का नागरिक हों।
    • वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
    • लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
    • वह किसी लाभ का पद पर ना हो।
    • राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम कम से कम 50 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित एवं 50 मतदाताओं द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।
    • राष्ट्रपति, संसद अथवा राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होगा।
    • राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान कोई अन्य पद ग्रहण नहीं कर सकता।

    राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया | Presidential election process -

    • राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक निर्वाचक मण्डल होता है, जिसमें ससंद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य होते है। साथ ही राज्यों के विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भी शामिल होते है। 70वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा दिल्लीपुदुचेरी केन्द्रशासित क्षेत्रों के विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल कर लिया गया है। 
    • राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा होता है, जो कि अनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति द्वारा होता है। ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है, एवं सुनिश्चित किया जाता है कि विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व मापन में समानता हो।

    कैसे करते है मत मूल्य का निर्धारण  -

    संविधान में यह प्रावधान है कि विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व (निर्वाचित सदस्य) मापन में समानता हो, तथा राज्यों एवं संघ के मध्य समानता हो।


    विधानसभा सदस्यों के मतों के मूल्य की गणना कैसे की जाती है?


    प्रत्येक विधानसभा के निर्वाचित सदस्य के मतों का मूल्य उस राज्य की कुल जनसंख्या, उस राज्य के विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या तथा हजार के गुणनफल से प्राप्त संख्या द्वारा भाग देने पर प्राप्त होती है।

    विधायक का मत मूल्य = (राज्य की कुल जनसंख्या / राज्य के विधानसभा से निर्वाचित सदस्य) ×1/1000

    संसद सदस्यों के मतों के मूल्य की गणना कैसे की जाती है?


    संसद के प्रत्येक सदन के निर्वाचित सदस्यों के मतों का मूल्य सभी राज्यों के विधायकों के मतों के मूल्य को संसद के कुल सदस्यों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है।

    एक संसद सदस्य के मत का मूल्य
    सभी राज्यों के विधायकों के मतों का मूल्य / संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल सदस्य संख्या


    जानिए कोई उम्मीदवार कैसे जीतता है राष्ट्रपति का पद -


    राष्ट्रपति पद के लिए उसी व्यक्ति को सफल घोषित किया जाता है जो कुल वैध मतों का आधे से कम से कम एक मत अधिक अर्थात् 50 प्रतिशत से एक मत अधिक प्राप्त करता है। इसे सामान्यतः न्यूनतम कोटा कहा जाता है।

    न्यूनतम कोटा = (वैध मत/2) + 1

    राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है | How is the President elected

    राष्ट्रपति के निर्वाचन में एकल संक्रमणीय निर्वाचन प्रणाली सिद्धांत अपनाई जाती है। यदि राष्ट्रपति उम्मीदवारों की संख्या एक से अधिक है तब मतदाता अपना मत वरीयता क्रम में देगा अर्थात् मतदाता एक बैलेट पेपर में क्रमानुसार उम्मीदवारों को वरीयता देता है, और उसे मतगणना बॉक्स में जमा करता है, इसे ही एकल संक्रमणीय मत प्रणाली कहा जाता है। इसे हम एक उदाहरण से समझते है -
    माना कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में A, B और C कुल तीन उम्मीदवार हैं। कुल वैध मतों की संख्या 2700 है। अतः न्यूनतम कोटा 1351 होना आवश्यक है तभी किसी एक उम्मीदवार की जीत होगी।
    माना कि प्रथम वरीयता में 
    A = 1000  B = 950 C = 750

    उपरोक्तानुसार मत प्राप्त हुआ, ऐसी स्थिति में किसी भी एक उम्मीदवार को न्यूनतम कोटा अर्थात् 1351 वोट प्राप्त नहीं हुए। ऐसी स्थिति में सबसे कम वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार C को स्पर्धा से बाहर कर उसके द्वारा प्राप्त 750 मतपत्रों में द्वितीय वरीयता के मतों की गणना की जाती है।
    माना कि 750 मतपत्रों में द्वितीय वरीयता में 
    A = 300    B = 450

    उपरोक्तानुसार मत प्राप्त हुआ, इन मतों को प्रथम वरीयता के मतों में जोड़ने पर
    A को प्राप्त कुल मतों की संख्या = (1000+300) = 1300 मत
    B को प्राप्त कुल मतों की संख्या = (950+450) = 1400 मत

    यहां उम्मीदवार B को न्यूनतम कोटा (1351 या अधिक) मत प्राप्त हो गया है अतः उसे सफल घोषित कर दिया जाता है। उपरोक्त उदाहरणानुसार उम्मीदवार B राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने में सफल हो जाएगा।





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