आज हम हिमालय पर्वत के बारे में तथा उसकी उत्पत्ति विस्तार आदि के बारे
में समझेगें एवं जानेंगे। भारत में हिमालय का विशेष महत्व है क्योंकि भारत
के उत्तर में स्थित हिमालय पर्वतमाला शीतकाल में निकटवर्ती स्थानों की
बर्फीली व ठंडी हवाओं से रक्षा करता है। साथ ही वर्षा ऋतु में मानसूनी पवनों
को रोक कर वर्षा कराता है।
हिमालय के बारे में -
हिमालय विश्व की सबसे नवीनतम मोड़दार वलित पर्वतमाला है जो
कश्मीर से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक 2500 किलोमीटर लम्बाई में
फैली हुई है, पूर्व में इसकी चौड़ाई 150 किलोमीटर है जबकि पश्चिम में
इसकी चौड़ाई 500 किलोमीटर है। हिमालय पर्वत श्रेणी की औसत ऊँचाई
6000 मीटर है।
हिमालय की उत्पत्ति या निर्माण कैसे हुआ? | How did the Himalayas Mountain originate?
हिमालय की उत्पत्ति से संबंधित दो सिद्धांत निम्न है -
- भूसन्नति सिद्धान्त
- प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त
कोबर का भू-सन्नति सिद्धान्त | Kobar's theory of geo-suspension -
हिमालय की उत्पत्ति का सिद्धान्त "कोबर" (जर्मनी के वैज्ञानिक) ने दिया था। जिसे कोबर का भू-सन्नति
सिद्धान्त कहते है। टेथिस सागर के दक्षिण भाग में एक महाद्वीप था जिसे
गोडवाना भूमि कहा गया जिसके अवशेष आज दक्षिण अमेरिका के पूर्वी भाग,
अफ्रीका, प्रायद्वीपीय भारत एवं आस्ट्रेलिया के रूप में विद्यमान है।
टेथिस सागर के उत्तर में भी एक ऐसा ही महाद्वीप स्थित था। जिसको
अंगारा भूमि कहते थे। इसके अवशेष एशिया, यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के रूप
में विद्यमान है। जहाँ अभी हिमालय श्रेणी है वहाँ पहले टेथिस भूसन्नति कोबर
के अनुसार हुआ करती थी। अंगारा लैण्ड और गोडवाना लैण्ड की नदियाँ
अपने साथ गाद छावर टेथिस सागर सन्नति में गिराती थी। लाखों वर्षों के
प्रक्रिया से यह चट्टान में परिवर्तित हो गई। जिसके कारण दबाव से परतें
सिकुड़ कर उठने लगी तथा हिमालय व कुनलुन पर्वत श्रेणी बने तथा मध्य में
तिब्बत का निर्माण हुआ। इसके अलावा हिमालय की उत्पत्ति की अवधारणा हेरी हैस
का प्लेट विवर्तनिका का सिद्धान्त भी है।
हेरी हैस का प्लेट विवर्तनिका सिद्धान्त | Harry Hayes's plate
tectonic theory -
हैरी हैस के प्लेट विवर्तनिका के अनुसार टेथिस सागर के तल के विस्थापन के
कारण एवं वलन के कारण भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट के साथ
निरंतर वलित होती रही साथ ही ये प्लेट चलायमान थी जिससे इनके मध्य दबाव से
मोड़दार वलित पर्वत का निर्माण हुआ और टेथिस सागर का तल अधिकाधिक ऊँचा
उठता गया। परिणामस्वरूप कुछ ऐसी पर्वत श्रेणियाँ बनी जिन्हे चीन से लेकर
यूरोप तक फैली हुई पाते है। इन्हें अल्पाइन समूह की पर्वत श्रेणियां
भी कहते हैं। जिसका हिमालय पर्वत एक भाग है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला का विस्तार -
हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों को चार भागों में बाँटा गया है -
1. ट्रांस हिमालय क्षेत्र या तिब्बत हिमालय प्रदेश | Trans Himalayan or Tibet Himalayan region -
इसका अधिकांश भाग तिब्बत में स्थित होने के कारण इसे तिब्बत हिमालय प्रदेश
भी कहते है। इसका निर्माण जीवाश्म वाली समुद्री अवसादो से हुआ है, और इसकी
निचली परत टर्शियरी ग्रेनाइट से बनी है। इसका मुख्य विस्तार जम्मू-कश्मीर
राज्य में हिमालय के उत्तर में है। इस भाग में वनस्पति का अभाव है, इस
प्रदेश की तीन श्रेणियाँ है -
- काराकोरम श्रेणी
- लद्दाख श्रेणी
- जास्कर श्रेणी
- काराकोरम श्रेणी (Karakoram Range) - यह भारत की सबसे उत्तरी पर्वत है। इसे उच्च एशिया की रीढ़ भी कहते है। भारत की सबसे ऊँची चोटी गाडविन आस्टिन (8611 मीटर) या K2 इसी में स्थित है, काराकोरम की नूब्रा घाटी में ही सियाचीन ग्लेशियर है।
- लद्दाख श्रेणी (Ladakh Range) - यह काराकोरम के दक्षिण में स्थित है, लद्दाख श्रेणी का पूर्वी भाग कैलाश श्रेणी तिब्बत, चीन है।
- जास्कर श्रेणी (Zaskar Range) - यह लद्दाख श्रेणी के दक्षिण एवं महान हिमालय के उत्तर में स्थित है लद्दाख श्रेणी व जास्कर श्रेणी के बीच सिंधु घाटी स्थित है।
2. वृहद हिमालय या महान हिमालय या हिमाद्रि | Greater Himalaya or Greater Himalaya or Himadri -
यह सिन्धु नदी के गार्ज से अरूणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक
फैली हुई है या नंगा पर्वत से लेकर नामचाबारवा पर्वत तक दीवार के समान फैला
हुआ है। विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटियां इसी श्रेणी में पाई जाती है।
माऊन्ट एवरेस्ट (8848 मीटर) इसकी सबसे ऊँची चोटी है इसे
नेपाल में सागरमाथा और तिब्बती भाषा में चोमोलूग्मा कहते है।
इस श्रेणी की ढाल उत्तर की ओर मन्द और दक्षिण की ओर तीव्र है। इस श्रेणी के
मध्य भाग से गंगा, यमुना और उसकी सहायक नदियों का उद्गम है।
3. लघु या मध्य हिमालय या हिमाचल श्रेणी | Middle Himalayas or Himachal Range -
इसका विस्तार मुख्य हिमालय के दक्षिण में है। इसकी चौड़ाई 80 से 100 किमी.
के बीच है तथा इसकी ऊँचाई 3700 से 4500 मीटर है। इसके ढालों पर
कोणधारी वन तथा छोटे-छोटे घास के मैदान पाए जाते है। जिन्हें कश्मीर
में मर्ग (गुलमर्ग, सोनमर्ग) उत्तराखण्ड में बुग्गल और पयार तथा
मध्यवर्ती भागों में दून कहा जाता है। विवर्तनिकी दृष्टि से यह हिमालय
श्रेणी प्रायः शांत है। भारत के अधिकांश प्रसिद्ध स्वास्थ्यवर्धक स्थान
या पर्यटन स्थल जैसे- शिमला, डलहौजी, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि
लघु हिमालय के निचले भाग में अर्थात् लघु हिमालय और शिवालिक श्रेणी के बीच
में स्थित है। इसके अन्तर्गत कई छोटी-छोटी श्रेणियाँ है जैसे-
पीरपंजाल श्रेणी, धौलाधार श्रेणी और महाभारत श्रेणी।
4.शिवालिक श्रेणी या बाह्य हिमालय | Shivalik range or outer Himalayas -
शिवालिक श्रेणी लघु हिमालय के दक्षिण में अवस्थित है, इसका विस्तार पश्चिम
में पंजाब से होकर पूर्व में कोसी नदी तक है। शिवालिक को जम्मू में जम्मू
पहाड़ियाँ तथा अरूणाचल प्रदेश में डाफला और मिश्मी पहाड़ियाँ के नाम से जाना
जाता है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला का नवीनतम भाग है, शिवालिक को लघु
हिमालय से अलग करने वाली घाटियों को पश्चिम में दून या द्वार कहते है,
जैसे- देहरादून, हरिद्वार।
हिमालय का प्रादेशिक विभाजन | Territorial division of the Himalayas -
1- पंजाब हिमालय या कश्मीर हिमालय (Punjab Himalaya or Kashmir Himalaya)
- सिन्धु नदी तथा सतलुज नदी के मध्य अवस्थित यह पर्वतीय भाग
जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में विस्तृत है, इसमें लद्दाख, पीर पंजाल,
जास्कर पर्वत श्रेणियाँ एवं रोहतांग तथा जोजिला दर्रा अवस्थित है।
2- कुमायु हिमालय (Kumayu Himalaya)
- सतलज तथा काली नदियों के बीच विस्तृत है। यह पंजाब हिमालय से अधिक
ऊँचा है। भागीरथी और यमुना का उद्गम क्षेत्र इसी हिमालय से है। बद्रीनाथ,
केदारनाथ इसकी प्रमुख चोटियॉ है। नंदा देवी कुमायु हिमालय का प्रमुख शिखर है,
यह मुख्यतः उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है।
3- नेपाल हिमालय (Nepal Himalaya)
- यह पर्वत प्रदेश हिमालय का सबसे लम्बा प्रादेशिक भाग है, यह
काली नदी से तिस्ता नदी तक लगभग 800 किलोमीटर की लम्बाई तक विस्तृत
है। विश्व की सर्वोच्चतम पर्वत श्रृंखलाएं माऊन्ट एवरेस्ट, कंचनजंघा,
धौलागिरी, मकालू आदि है।
4- असम हिमालय (Assam Himalayas)
- यह तिस्ता नदी से लेकर दिहांग ब्रह्मपुत्र तक 720 किलोमीटर लम्बाई
तक फैला हुआ है। इस हिमालय में नागा पहाड़ियाँ, मिजो, खासी आदि पहाड़ियाँ है।
इस भाग की प्रमुख नदियाँ दिहाँग, दिबांग, लोहित एवं ब्रह्मपुत्र है।
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