यह लेख छत्तीसगढ़ के प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले विषय
राजभाषा आयोग से संबंधित हैए चूंकि राज्य सेवा परीक्षाओं में इससे संबंधित
प्रश्न अकसर पूछ लिए जाते है। जिससे संबंधित जवाब इस लेख में है।
प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न -
1. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का कार्यालय स्थापना दिवस किस तारीख को मनाया जाता है?2. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का बिजहा कार्यक्रम क्या है?3. आठवीं अनुसूची में शामिल होने पर छत्तीसगढ़ी को किस प्रकार का लाभ मिलेगा?4. छत्तीसगढ़ी बोली व्याकरण और कोश के लेखक कौन है?5. छत्तीसगढ़ी राजभाषा की तारीख क्या है?6. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग द्वारा संचालित माई कोठी योजना क्या है?7. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तीन अध्यक्षों के कालक्रमानुसार नामोल्लेख कीजिए।8. छत्तीसगढ़ी की भाषायी विविधता का कारण क्या है?
छत्तीसगढ़ी बोली
छत्तीसगढ़ी बोली का जन्म अर्धमागधी अपभ्रंश से हुआ है। अर्धमागधी के
विकास से पूर्वी हिन्दी का जन्म हुआ जिसकी तीन प्रमुख बोलियाँ हुई -
अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी
1 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ी को अलग भाषा को
दर्जा दिलाने के प्रयास से छत्तीसगढ़ राजभाषा विधेयक
28 नवंबर 2007 से गठन किया गया। जिसमें छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा
देने का कार्य किया जा रहा है। इसके कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने एक राजभाषा
आयोग का गठन किया।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग | (Chhattisgarhi Rajbhasha Aayog)
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग अधिनियम 2010 के नाम से है। इस आयोग में एक
अध्यक्ष व 4 सदस्य होते हैं। जिनका कार्यकाल 3 वर्ष से अधिक नहीं होगा, और अधिकतम 2 बार ही चुने जा सकेंगे। इसका मुख्यालय
शहीद स्मारक परिसर रायपुर में है।
लक्ष्य -
1. छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में दर्ज कराना है।
2. छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा के रूप में व्यवहार में लाना
है।
3. त्रिभाषायी भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी, छत्तीसगढ़ी) के रूप में प्राथमिक
व माध्यमिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करना है।
4. छत्तीसगढ़ी भाषा को देश-विदेश में प्रचार-प्रसार कर ख्याति दिलाना
है।
राजभाषा आयोग का गठन -
- सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ राजभाषा विधेयक - 28 नवंबर 2007 को गठित किया गया।
- इसके बाद राजपत्र में इसका प्रकाशन - 11 जुलाई 2008 को हुआ।
- छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग अधिनियम - 3 अगस्त 2010 को पारित हुआ।
- उसके बाद इसका राजपत्र में प्रकाशन - 3 सितम्बर 2010 को किया गया एवं आयोग का कार्यक्रम प्रारंभ - 14 अगस्त 2008 से हुआ।
इसलिए प्रतिवर्ष 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के
रूप में मनाया जाता है।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष -
श्यामलाल चतुर्वेदी (2008 - 2010) - प्रथम अध्यक्ष
दानेश्वर शर्मा (2011 - 2013)
विनय कुमार पाठक (2016 - 2018)
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम सचिव के रूप में
डॉ. सुरेन्द्र दुबे जी को चुना गया था।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन से निम्नलिखित कार्य किए जा रहे है
-
1. साहित्यकार संभागीय सम्मेलन होता है।
2. माई कोठी योजना - इसके तहत छत्तीसगढ़ी या छत्तीसगढ़ से
संबंधित भाषा पुस्तकों का क्रय कर छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देना है।
इसके लिए लेखकों से उनसे छत्तीसगढ़ी में प्रकाशित रचनाओं का 2-2 प्रति
खरीदना इस योजना का उद्देश्य है।
3. बिजहा कार्यक्रम - इस कार्यक्रम में विलुप्त हो रहे
छत्तीसगढ़ी शब्दों को संकलित करने का अभियान है। इसके साथ-साथ प्रचलित
छत्तीसगढ़ी शब्दों को संग्रहित करना इसका उद्देश्य है।
4. सम्मेलन - छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रचार-प्रसार के लिए एवं इसकी महत्ता
व आवश्यकता को बताने के लिए सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है। जिसमें कई
साहित्यकार इस सम्मेलन में भाग लेते है।
5. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का प्रथम सम्मेलन - भिलाई में 2013 में किया
गया था। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का छठवां सम्मेलन बेमेतरा में एवं
सातवां सम्मेलन रायपुर में 2019 को हुआ।
6. राज्यस्तरीय संगोष्ठी - 22 जुलाई 2018 बिलासपुर में आयोजित किया
गया। जिसकी अध्यक्षता पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे जी के द्वारा किया गया था
एवं मुख्य अतिथि के रूप में विनय कुमार पाठक जी सम्मिलित थे।
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छत्तीसगढ़ी भाषा का वर्गीकरण -
वर्तमान में छत्तीसगढ़ी भाषा कई विभिन्न क्षेत्रीयता में बंट गया है।
जैसे छत्तीसगढ़ के केन्द्र में हिन्दी भाषा का प्रभाव उत्तर में बघेली,
पश्चिम में बुंदेली व मराठी का तथा दक्षिण में मराठी, गोंडी व उडिया का एवं
पूर्व में उडिया भाषा का प्रभाव छत्तीसगढ़ी भाषा में पड़ा है।
1. केन्द्रीय छत्तीसगढ़
2. पश्चिमी छत्तीसगढ़
3. उत्तरी छत्तीसगढ़
4.
पूर्वी छत्तीसगढ़
5. दक्षिणी छत्तीसगढ़
1. केन्द्रीय छत्तीसगढ़ - इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़ी भाषा पर मानक
हिन्दी का प्रभाव पड़ा है। यहाँ पर स्थानीय बोलियों का प्रभाव कम है।
जिनमें बिलासपुरी, रत्नापुरी, सतनामी आदि प्रमुख है। इस समूह में
सर्वाधिक प्रचलित छत्तीसगढ़ी बोली है।
2. पश्चिमी छत्तीसगढ़ - छत्तीसगढ़ के पश्चिम में महाराष्ट्र व मध्य
प्रदेश राज्य के जुड़े होने के कारण यहाँ पर मराठी व बुंदेली भाषा का
प्रभाव देखने को मिलता है। जिसमें सर्वप्रमुख खल्टाही, कमारी, मरारी आदि
आते है।
3. उत्तरी छत्तीसगढ़ - छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश व
झारखण्ड राज्य की सीमा लगने के कारण यहाँ पर बघेली, भोजपुरी व उराँव
जनजाति की कुड़ुख बोली का प्रभाव है। जिसमें सर्वप्रमुख सरगुजिया बोली
है।
4. पूर्वी छत्तीसगढ़ - छत्तीसगढ़ में उडिया भाषा का प्रभाव पूर्वी
छत्तीसगढ़ में बहुत पड़ा है अतः यहाँ विभिन्न बोलियाँ बिझंवारी,
भूरिया, कलंगा एवं लरिया है। लरिया यहाँ की सर्वप्रमुख बोली है।
5. दक्षिणी छत्तीसगढ़ - छत्तीसगढ़ के दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश व
तेलंगाना जुड़ा हुआ है परन्तु छत्तीसगढ़ में दक्षिण में जनजाति बहुल होने
के कारण जनजातियों के द्वारा बोले जाने वाले बोलियों का प्रभाव ज्यादा
पड़ा है, इसलिए यहाँ गोन्डी, मिरगानी, चंदारी एवं हल्बी बोली का प्रभाव
है, जिसमें सर्वोपरि बोली हल्बी है।
छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखे गए कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ -
- छत्तीसगढ़ी बोली का व्याकरण - हीरालाल काव्योपाध्याय
- छत्तीसगढ़ी शब्दकोश - रमेशचंद्र मेहरोत्रा
- छत्तीसगढ़ी हल्बी, भतरी बोलियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन - भालचंद्र राव तैलंग
- छत्तीसगढ़ी का भाषाशास्त्रीय अध्ययन - शंकर शेष
- छत्तीसगढ़ी बोली व्याकरण और कोश - कान्ति कुमार
- ए ग्रामर ऑफ छत्तीसगढ़ी डायलक्ट ऑफ हिन्दी - लोचन प्रसाद पाण्डेय
- छत्तीसगढ़ी लोकसाहित्य का अध्ययन - दयाशंकर शुक्ल
- छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश के प्रणेता - पालेश्वर शर्मा
- छत्तीसगढ़ी मुहावरा कोश - रमेशचंद्र मेहरोत्रा
- छत्तीसगढ़ी लोकोक्तियों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन - मनुलाल यादव
- छत्तीसगढ़ी उपसर्ग - नरेन्द्र कुमार सुदर्शन
- लिस्ट ऑफ मोस्ट कॉमन् छत्तीसगढ़ी वर्ड्स एण्ड डिक्शनरी - ई. डब्लू. मेन्जल
उम्मीद है आपको उपरोक्त सभी पूर्व में पूछे गए प्रश्नों के जवाब इस लेख
में मिला होगा। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा comment
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Your Gyaan INside
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