प्रिय पाठक,
आज हिंदी दिवस के अवसर पर हम हिंदी के इतिहास, महत्व और इसे क्यों मनाया जाता है के बारे में जानेगे।
आज भारत में हिंदी भाषा की जगह अंग्रेजी भाषा को अधिक महत्व दिया जा रहा है। चूँकि आज के दौर में अंग्रेजी बोलना प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है जिससे हिंदी की महत्ता कम होती जा रही है।
आज लोग नमस्कार या नमस्ते की जगह गुड मॉर्निंग या गुड इवनिंग कहना ज्यादा पसंद करते है। आज 14 सितम्बर हिंदी दिवस के अवसर पर इस विषय पर प्रकाश डालेंगे।
हिंदी की उत्पत्ति का क्रम
संस्कृत → पालि → प्राकृत → अपभ्रंश → हिंदी
हिंदी भाषा में "हिंदी" का अर्थ
हिंदी दिवस का इतिहास
भारत के आजादी के लगभग 2 साल बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अन्तर्गत हिंदी को भारतीय संघ की आधिकारिक राजभाषा और देवनागरी को आधिकारिक लिपि की मान्यता मिली।इसी सन्दर्भ में बाल गंगाधर तिलक जी ने भी कहा था कि -
"यद्यपि मै उन लोगो में से हूँ, जो चाहते है और जिनका विचार है कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।"
इसी ही दिन व्यौहार राजेंद्र सिंह का 50वा जन्मदिन भी था, जिन्होंने अपने सहयोगियों काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हज़ारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविंददास, महादेवी वर्मा आदि साहित्यकारों के साथ मिल कर हिंदी को राजभाषा के रूप में स्थापित करवाया।
व्यौहार राजेंद्र सिंह हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी थे उन्होंने अमेरिका में आयोजित विश्व सर्वधर्म सम्मेलन में हिंदी में ही भाषण दिया जिसकी जमकर तारीफ हुई। व्यौहार राजेंद्र सिंह तथा साहित्यकारों के कारण ही आज हिंदी विश्व भर में प्रसिद्ध है।
हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी दिवस का महत्व हिंदी भाषा से है, हिंदी एक ऐसी भाषा है जो देश को जोड़ने का काम करती है यह सिर्फ एक भाषा ही नहीं अपितु देश की संस्कृति, रहन-सहन, वेशभूषा आदि है।इस सन्दर्भ में नेताजी सुभाष चंद्र बोसे जी का एक वक्तव्य बहुत अहम् है -
"प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष को दूर करने में जितनी सहायता इस हिंदी प्रचार से मिलेगी, उतनी दूसरी किसी चीज़ से नहीं मिल सकती।"
भारत की अधिकतर आबादी गावों में बसती है, सभी व्यक्तियों को जोड़ने में एक मुख्य भाषा की महसूस हुई स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जो भाषा अधिकतर क्षेत्रों मे बोली जाती थी वो हिंदी ही थी तो हिंदी को राजभाषा के दर्जा मिलने के उपरांत सारे कार्य हिंदी में होने लगे, बोलचाल के लिए हिंदी उपयुक्त मानी गयी क्यूंकि हिंदी की पहुंच जन जन तक थी।
आज हिंदी बोलने वाले को अनपढ़ व गंवार के रूप में देखा जाता है, यह सही नहीं है। हिंदी जानने वाला भी आज उतना सक्षम है जितना अंग्रेजी जानने वाला। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए लोगो को अधिकतर कार्य व बोलचाल के लिए इसका प्रयोग बहुत जरूरी है।
विश्व के अन्य देशो से भी लोग इस भाषा को सीखने के लिए भारत आते है जिससे इसकी महत्ता साबित होती है।
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हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता
14 सितम्बर देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है पर हमे एक दिन क्यों चुनना पड़ा हिंदी दिवस मनाने के लिए, हिंदी जन जन की भाषा है हर कोई बोलता है पर इसके लिए दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
इस दिन देश के सभी लोग हिंदी के प्रति सम्मान प्रकट करते है, चूँकि इस दिन देश के सविधान में राजभाषा के रूप में दर्जा मिला उसके सम्मान में हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश भर में हिंदी भाषा में लिखित निबंध, भाषण, कविता प्रतियोगिताएं आदि विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में आयोजन कराया जाता है। स्कूलों तथा कार्यालयों में भी सारे कार्य और बोलचाल भी हिंदी में की जाती है।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितम्बर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बीच अंतर
विश्व में हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है और भारत में हिंदी दिवस 14 सितम्बर को मनाया जाता है। लोगो को इस पर ग़लतफ़हमी हो जाती है कि राष्ट्रीय हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस एक ही है। परन्तु भारत में हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि इस दिन सन 1949 में संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था और विश्व में विश्व हिंदी दिवस मनाने का मूल कारण हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है।
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निष्कर्ष
हिंदी भाषा को नए आयामों तथा विकास के लिए हिंदी दिवस की बहुत आवश्यकता है हिंदी धीरे धीरे विलुप्ति के कगार पर है इसे पुनर्जीवित के लिए यह बहुत जरूरी है, जहाँ आज इंटरनेट तथा कंप्यूटर की दुनिया अंग्रेजी भाषा से पटी हुई है वह हिंदी की पहुंच सीमित है भारत जहां हिंदी भाषी राष्ट्र है वहाँ हमे लोगो को इससे अवगत करा कर अधिक से अधिक लोगो तक पहुंच बनाना होगा तभी हमे आधुनिक भारत में नए महान कवि,ओजस्वी वक्ता, निबंधकार, साहित्यकार आदि प्राप्त होंगे।
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लेखक - विवेक