आज हम पोला और तीजा/हरतालिका तीज के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं, पोला जो कि भादो अमास्वया के दिन मनाया जाता है, उसके तीसरे दिन अर्थात् भादो तृतीया के दिन तीजा त्यौहार छत्तीसगढ़ में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। ज्ञानत्व है कि छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार हरेली को कहा जाता है जिसके विषय में पूर्व में बताया गया है। इन दोनों त्यौहारों के बारे में जानेंगे।
पोला त्यौहार क्या है? | Pola Tyohar
छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार भादो पक्ष की अमावस्या में मनाया
जाता है, जो मूलतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। यह त्यौहार विशेष रूप से
छत्तीसगढ़ के साथ-साथ महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में भी मनाया जाता है। भादों में
खेती किसानी कार्य समाप्त हो जाने के बाद खेतों में उपयोग में आए बैलो के
प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इस दिन सुबह से बैलों को नहलाकर सजाते है
एवं उनकी पूजा-अर्चना करते है। साथ ही उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाते
है।
पोला त्यौहार से जुड़ी मान्यताएँ -
पोला त्यौहार मनाने के पीछे मान्यता यह है कि इस दिन अन्नमाता
गर्भधारण करती है, इसका अर्थ यह है कि इस दिन धान के पौधे में दूध
भरता है। जिसके कारण इस दिन खेतों में जाने की मनाही होती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार विष्णु भगवान द्वापर युग में जब श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे तब से ही उनके मामा कंस से उनकी जान से मारने की योजना बनाई थी। कंस मामा ने तब से ही उनके जान लेने के लिए कई असुरों को श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा था, जिनमें से एक पोलासुर नामक एक असुर भी था। जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने लीला दिखाते हुए पोलासुर को मार दिया। इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा।
पोला त्यौहार कैसे मनाते है?
श्री कृष्ण अपने बाल्यावस्था में जिस लीला से पोलासुर को मारा इस कारण से यह
त्योहार को बच्चों का त्योहार कहा जाने लगा। इस दिन बच्चें मिट्टी के बने
बैलों को सजाकर उनकी पूजा करते है, साथ ही घर-घर बैलों को ले जाकर दक्षिणा
मांगते है।
गांव में युवक-युवतियाँ और बच्चों के साथ पोरा पटकने जाते है। पोरा पटकने का
आशय यह है कि इस परंपरानुसार यवक युवतियाँ एवं बच्चे अपने घर से लाए मिट्टी
के खिलौने को एक विशेष निर्धारित जगह में फोड़ते है इसे ही पोरा पटकना कहते है
उसके बाद टोली बनाकर मैदान में कबड्डी, सूरपाटी, खो-खो आदि पारंपरिक खेल
खेलते है और मौज-मस्ती करते हुए त्योहार का आनंद लेते है।
इस दिन बैलगाड़ी दौड़ की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। किसानों एवं
ग्वालों द्वारा अपने बैलों को सजाकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए तैयार
करते है। जीतने वाले विजयी बैलों एवं उनके मालिकों को पुरस्कृत किया जाता
है।
इस अवसर पर महिलाएँ मिट्टी के बने छोटे से घड़े (पोला) को परम्परागत
रीति-रीवाजों के साथ विसर्जित करती है तथा घर में विशेष प्रकार के पकवान जैसे
- ठेठरी, खुर्मी, मीठा चीला आदि बनाती है। इस प्रकार यह पर्व पुरूषों,
महिलाएँ और बच्चें सभी साथ मिलकर उत्साहपूर्वक यह त्यौहार मनाते है।
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तीजा त्यौहार (हरतालिका तीज) | Hartalika Tyohar | Teeja Tihar
पोला के कुछ ही दिनों के बाद तीजा का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार देश
के अन्य राज्यों में विशेषकर उत्तर भारत में हरतालिका तीज के नाम से मनाया
जाता है जिसे छत्तीसगढ़ मे तीजा के नाम से जाना जाता है, जो कि
भादो के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है।
तीजा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
हरतालिका तीज या तीजा का महत्व वैसे ही है जैसे करवाचौथ का है। जिस
प्रकार करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएँ निर्जला व्रत रखती है उसी प्रकार तीजा
में भी निर्जला व्रत रखा जाता है अर्थात् इस व्रत के दौरान पानी की एक बूदँ
भी ग्रहण नही किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि सर्वप्रथम मां पार्वती ने अपने सुहाग को अखण्ड
बनाए रखने के लिए भगवान् शिव के लिए रखा था उसी प्रकार सौभाग्यवती
महिलाएँ अपने पति की लम्बी आयु एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए तथा अविवाहित
युवतियां अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती है।
यह त्योहार मनाने के लिए छत्तीसगढ़ की पतिव्रता महिलाएँ एक या दो दिन पहले ही अपने मायके जाती है, जिसके लिए मायके से कोई ना कोई उन्हें लेने के लिए आता है। तृतीया के पहले दिन महिलाएँ अपने मायके पहुँच जाती है।
द्वितीय दिन में महिलाएँ परम्परागत विधि-विधानों का पालन करते हुए
करू भात (करेले की सब्जी और पके हुए चावल) खाने के बाद से ही रात्रि
बारह बजे से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, अगले रात के बारह बजे तक चलता
है, वहीं जहां करवाचौथ में विवाहित महिलाएं सुबह से उपवास रख कर शाम को
चाँद को देखकर अपना उपवास तोड़ती है, वहीं तीजा के व्रत को अगले रात 12 बजे
तक (24 घंटो तक) निर्जला रखती है इस कारण इसे करवाचौथ से भी कठिन व्रत माना
जाता है।
तीजा के दिन मायके से मिले नए कपड़े पहन कर महिलाएं अपने आस-पड़ोस में जहाँ कहीं कथा हो रही हो वहां कथा सुनती है एवं पूजा करती है साथ ही अपनी पति की लम्बी उम्र की कामना करती है, साथ ही परिवार को सभी विपदाओं से रक्षा करने के लिए देवी-देवताओं से कामना करती हैं।
दूसरे दिन अर्थात् चतुर्थ दिन को सभी नाते रिश्तेदार भाई-बहन आपस में
मिलते जुलते है और प्रसाद फलाहार व भोजन ग्रहण करते है एवं हँसी खुशी इस
त्यौहार को मनाते है। छत्तीसगढ़ में इन दोनों त्यौहारों को धूमधाम से मनाया
जाता है।
गत वर्ष में पूछे गए प्रश्न (CGPSC/CGVyapam asked Que.) -
1. छत्तीसगढ़ त्यौहार पोला पर निबंध लिखिए।
(CGPSC मुख्य परीक्षा 2017 - 15 Marks)
2. पोला (पोरा) से आप क्या समझते है।
(CGPSC मुख्य परीक्षा 2016 - 4 Marks)
3. छत्तीसगढ़ के किसान, बैलों को किस त्यौहार में सजाते हैं?
(CGPSC Lib. 2017)
4. छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व कब मनाया जाता है?
(CGPSC ACF 2016)
5. पोला त्यौहार कब मनाया जाता है?
(CGVyapam E.S.C. 2017)
6. हरतालिका उत्सव का क्या महत्व है?
(CGPSC Mains Paper 2018 - 2 Marks)
(CGPSC Mains 2015 - 4 Marks)
7. छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीज त्यौहारों का वर्णन किजिए।
(CGPSC Mains 2012 - 10 Marks)
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