छत्तीसगढ़ में पर्वों की शुरूआत हरेली पर्व के साथ होती है। यह पर्व किसानों का प्रमुख त्यौहार है, जो कि कृषि से सम्बंधित है। भारत जैसे देश जहाँ 70 प्रतिशत किसानों की आय कृषि पर निर्भर रहती है। वहीं छत्तीसगढ़ भी कृषि प्रधान राज्य है जिसे “धान का कटोरा” के नाम से जाना जाता है। किसान जो कि जनता का पेट भरता है उनके लिए हरेली पर्व का महत्व बहुत ही अधिक है।
ग्रीष्म ऋतु जहाँ चिलचिलाती धूप के बाद वर्षा की बूँदें जब धरती पर पड़ती है, तब किसान, पशु-पक्षी, प्रकृति आदि आनंद में प्रफुल्लित हो जाते है और हरियाई धरती के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए वर्षा के आगमन के खुशी में छत्तीसगढ़ के किसान भाई हरेली त्यौहार मनाते हैं। यह त्यौहार किसान और प्रकृति के बीच गहरा संबंध को दर्शाता है।
हरेली कब से शुरू होता है?
हरेली कैसे मनाया जाता है?
- हरेली तिहार में छत्तीसगढ़ के किसान अपने कृषि यंत्रों (हल, कुदाली, हसिंया, कुल्हाड़ी, गैती, रापा आदि) की साफ-सफाई करते है। इसके बाद अपने कृषि यंत्रों को परम्परागत रूप से घर के बाहर नई मिट्टी डालकर पूजा स्थल बनाया जाता है। इस स्थान पर किसान अपने कृषि यंत्रों को रख कर उसकी पूजा अर्चना करते है, और उनके खेत में फसल हमेशा लहलहाते रहें इसकी कामना करते हुए प्रकृति को वर्षा करने के लिए धन्यवाद प्रकट करते है साथ ही देवी देवताओं को भोग लगाते है।
- छत्तीसगढ़ के किसान कृषि कार्य मे सहयोग देने वाले मवेशियों/गौधन को गेंहू आटा का बना लोंदी खिलाते हैं एवं उनकी पूजा की जाती है। ठेठवार, राउत या यादव अपने-अपने गौशालाओं में नीम की पत्तियां लगाते हैं साथ ही जिन किसानों के यहां गाय दुहने जाते है उनके घर के दरवाजों पर भी नीम की पत्तियां लगाते है और गाय-बैल, भैंस आदि को वर्षा जनित बीमारी से बचाने के लिए नमक एवं बगरंडा के पत्तियों का रस चटाते हैं।
- इस दिन परिवार की महिलाएं छत्तीसगढ़ी व्यंजन जैसे मीठा गुलगुला, भजिया, गुड़ से बनी चीला आदि पकवान बनाते है और घर के कुल/ईष्ट देवी देवताओं को भोग लगाया जाता है उसके बाद पूरे परिवार के लोग आनंद के साथ प्रसाद, पकवान खाते है साथ ही सगे संबंधी और आस-पड़ोस में बांटते हैं।
- लोहार जाति के लोग हरेली के दिन अपने गृह स्वामी के घर के मुख्य द्वार पर कील ठोक कर सभी विपदाओं से घर की रक्षा के लिए मनोकामना करते है।
- इस दिन छत्तीसगढ़ में अनेक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है और गावं में बच्चे बांस से बनाई गेड़ी चढ़ते है। कुछ युवक नारियल फेंक खेल भी खेलते है। इसी तरह अनेक खेलों के साथ छत्तीसगढ़वासी इस तिहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
गेड़ी क्या है?
गेड़ी बांस से बना एक युक्ति है जिसकी ऊँचाई लगभग बीस से पच्चीस फीट तक होती है। जिस पर पैर रखने के लिए बांस की खपच्ची लगाई जाती है जिसको नारियल के बूच रस्सी से बांधा जाता है। बांस से बने इस गेड़ी में चढ़ने के लिए संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है। बच्चे गेड़ी चढ़ कर दौड़ प्रतियोगिता आदि में भाग लेते है और आनंद मनाते है।
गेड़ी क्यों चढ़ते हैं -
ग्रामीण क्षेत्रों में जब वर्षा का पानी बहकर कच्चे रास्तों पर कीचड़ हो जाता है तब ग्रामीण निवासी बांस की गेड़ी बनाकर चलते थे। हालाकिं शहरी क्षेत्रों में यह विलुप्त हो गया हैए परन्तु गावों में आज भी यह पारंपरिक रूप से त्यौहारों में चढ़ा जाता है।
इस प्रकार यह हरेली का तिहार वर्षा आगमन, प्रकृति पूजा और किसानों के
फसलों के उत्पादन एवं पशु-पक्षी के पूजा आदि का पर्व है जिसे छत्तीसगढ़ के
प्रदेशवासी वर्ष के प्रथम त्यौहार के रूप में धूमधाम से मनाते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की हरेली तिहार को लेकर आयोजन एवं कार्यक्रम
- इस वर्ष 2022 में हरेली तिहार 28 जुलाई को मनाया जाना है, इस दिन छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा पूर्व में ही की जा चुकी है।
- 28 जुलाई को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के निर्देशों का परिपालन करते हुए शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
- विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण का प्राकृतिक बाउंड्रीवाल तैयार करने का विशेष अभियान चलाया जाएगा।
- इस दिन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के निवास गांव पाटन में गोबर खरीदी के बाद अब हरेली तिहार के दिन गोमूत्र खरीदी करने की घोषणा की जाएगी। इस दिन से गोवंश पालक गौ-मूत्र 4 रु./प्रति लीटर की दर से विक्रय कर सकेंगें जिससे उन्हें आर्थिक मजबूती मिलेगी।
पूर्व वर्षों के प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न -
[CGPSC Mains 2014]
[CGPSC Mains 2017]
[CGPSC Asst. Dir. Sericulture 2017]
[CGPSC Horticulture 2015]
[CG Vyapam RBOS Sanyukta 2017]
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Gyaan INside





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