छत्तीसगढ़ की प्रमुख सरकारी योजनाएँ for CG Vyapam & CGPSC Exams

छत्तीसगढ़ की प्रमुख सरकारी योजनाएँ (Chhattisgarh Government Schemes) — CGPSC और CGVYAPAM परीक्षा हेतु

Category: Chhattisgarh Yojana

छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाएँ | C.G. Government Scheme | CGPSC Notes for paper 7

परिचय (Introduction)

छत्तीसगढ़ की प्रतियोगी परीक्षाओं — CGPSC, CGVYAPAM और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी अत्यंत आवश्यक है। ये योजनाएँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने, कृषि को प्रोत्साहन देने, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने, और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई गई हैं। इस लेख में हम छत्तीसगढ़ की सभी प्रमुख योजनाओं का सारगर्भित अध्ययन करेंगे, जो CGPSC Prelims, Mains और अन्य परीक्षाओं में बार-बार पूछी जाती हैं।

1. सुराजी ग्राम योजना (Suraji Gram Yojana)

शुरुआत: 8 फरवरी 2019 (दुर्ग जिले से)
नारा: “छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरूवा, गरवा, घुरवा अऊ बाड़ी”
मुख्य उद्देश्य: ग्रामीण कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना, प्राकृतिक संसाधनों का विकास, किसानों की आमदनी बढ़ाना और द्विफसली खेती को प्रोत्साहित करना।

  • 912 नालों पर 20,810 कार्य स्वीकृत
  • योजना का क्रियान्वयन – कृषि, वन, पंचायत, जल संसाधन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभागों द्वारा

2. गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana)

शुरुआत: 20 जुलाई 2020 (हरेली महापर्व के अवसर पर)
उद्देश्य: गौ-पालन को आर्थिक रूप से लाभदायी बनाना और जैविक खेती को बढ़ावा देना।

  • गोबर क्रय दर: ₹2 प्रति किलो (परिवहन सहित)
  • वर्मी कम्पोस्ट बिक्री दर: ₹8 प्रति किलो
  • पर्यावरण संरक्षण और महिला रोजगार सृजन पर फोकस

3. किसान कर्ज माफी योजना (Kisan Karj Maafi Yojana)

शुरुआत: दिसंबर 2018
उद्देश्य: किसानों को ऋण-मुक्त कर आर्थिक राहत देना।

  • 16.65 लाख किसानों का ₹6,100 करोड़ ऋण माफ
  • ₹2 लाख तक का कृषि ऋण माफ

4. राजीव गाँधी किसान न्याय योजना (Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana)

शुरुआत: 21 मई 2020
उद्देश्य: किसानों की आय में वृद्धि और फसल विविधीकरण।

  • धान, मक्का, गन्ना किसानों को ₹9,000 प्रति एकड़ सहायता
  • विविध फसलों हेतु ₹10,000 प्रति एकड़ सहायता

5. डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना (Dr. Khubchand Baghel Swasthya Sahayata Yojana)

शुरुआत: 15 नवंबर 2019 | लागू: 1 जनवरी 2020
उद्देश्य: सभी परिवारों को निःशुल्क स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना।

  • कुल उपचार सीमा: ₹20 लाख तक
  • अन्त्योदय परिवारों हेतु ₹5 लाख, अन्य के लिए ₹50 हजार
  • 7 राज्य व केंद्र स्वास्थ्य योजनाओं का एकीकरण

6. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान

शुरुआत: 2 अक्टूबर 2019 (बस्तर से)
उद्देश्य: कुपोषण और एनीमिया मुक्त छत्तीसगढ़।

7. मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना

शुरुआत: 2 अक्टूबर 2019
उद्देश्य: दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना।

  • साप्ताहिक हाट बाजारों में चिकित्सा सेवा
  • महतारी एक्सप्रेस (102) – 370 एम्बुलेंस, 24x7 सेवा

8. सार्वभौम पीडीएस प्रदाय योजना

  • प्रति राशन कार्ड 35 किलो चावल
  • APL परिवारों को ₹10 प्रति किलो
  • आदिवासी अंचलों में निःशुल्क नमक और गुड़ वितरण

9. शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना

  • लाभार्थी: 12.5 लाख परिवार
  • सामान्य मृत्यु: ₹2 लाख | दुर्घटना मृत्यु: ₹4 लाख

10. मुख्यमंत्री मितान योजना

  • शुरुआत: 15 अगस्त 2020
  • 100+ सरकारी सेवाएँ घर पर
  • टोल फ्री नंबर: 14545 | बजट ₹10 करोड़

11. पौनी पसारी योजना

  • शुरुआत: 23 अगस्त 2019
  • पारंपरिक व्यवसायों को पुनर्जीवित करना
  • 50% बाजार शेड महिलाओं हेतु आरक्षित

12. पढ़ई तुहँर दुआर / पढ़ई तुहँर पारा योजना

  • ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल – पढ़ई तुहँर दुआर
  • Bluetooth आधारित ‘बूल्टू के बोल’ तकनीक

13. बिजली बिल हॉफ योजना

  • शुरुआत: 1 मार्च 2019
  • 400 यूनिट से कम खपत पर 50% छूट

14. इंदिरा वन मितान योजना

  • शुरुआत: 9 अगस्त 2020 (विश्व आदिवासी दिवस)
  • वनवासी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और रोजगार

15. मोर जमीन मोर मकान योजना

  • शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराना
  • 40,000 अतिरिक्त घरों का लक्ष्य

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Revision Notes)

योजनाशुरुआतउद्देश्यमुख्य तथ्य
सुराजी ग्राम योजना2019ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त20,810 कार्य स्वीकृत
गोधन न्याय योजना2020गोबर खरीद, जैविक खाद₹2/किलो गोबर
किसान कर्ज माफी2018ऋण माफी₹6,100 करोड़
राजीव गाँधी किसान न्याय2020आय सहायता₹9,000/एकड़
डॉ. खूबचंद बघेल2019नि:शुल्क इलाज₹20 लाख तक
सुपोषण अभियान2019कुपोषण रोकथामबस्तर से शुरू
मितान योजना2020घर पर सेवाएँ14545
बिजली बिल हॉफ2019बिजली छूट50% राहत

निष्कर्ष (Conclusion)

छत्तीसगढ़ सरकार की ये योजनाएँ ग्रामीण, शहरी, कृषक, महिला और आदिवासी समुदायों के सर्वांगीण विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। इन योजनाओं की गहन समझ CGPSC और CGVYAPAM जैसी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। नियमित अध्ययन और योजनाओं के अद्यतन डेटा का अभ्यास सफलता की कुंजी है।

Author: Gyaan INside

Tags: छत्तीसगढ़ योजनाएँ, CGPSC Preparation, CGVYAPAM Notes, Government Schemes

छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: लोक वित्त की स्थिति, राजस्व प्राप्तियाँ, राजकोषीय घाटा और परीक्षा हेतु मुख्य आर्थिक संकेतक (Part-4)

छत्तीसगढ़ बजट 2024-25 Thumbnail — लोक वित्त, राजकोषीय घाटा, राजस्व प्राप्तियाँ और CGPSC परीक्षा हेतु मुख्य आर्थिक तथ्य


परिचय / Introduction

बजट किसी भी राज्य की वित्तीय दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2024-25 का 'लोक वित्त' खंड छत्तीसगढ़ राज्य के आगामी वित्तीय वर्ष के अनुमानित आय और व्यय का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करता है। बजट का मूल उद्देश्य एक ऐसे आर्थिक वातावरण का निर्माण करना है, जिसके माध्यम से सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए संसाधन उपलब्ध हो सकें। वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट अनुमानों (ब.अ.) में राज्य के लोक वित्त की स्थिति को विस्तृत रूप से दर्शाया गया है।

मुख्य बिंदु / Highlights

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लोक वित्त अनुमानों के प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

  1. राजस्व प्राप्तियाँ और वृद्धि दर: वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल राजस्व प्राप्तियाँ पिछले वर्ष की तुलना में 13.07 प्रतिशत वृद्धि के साथ ₹1,25,900.00 करोड़ अनुमानित हैं।
  2. कर राजस्व में वृद्धि: कुल कर राजस्व में पिछले वर्ष की तुलना में 16.61 प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है।
  3. राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus): वर्ष 2024-25 में राजस्व प्राप्तियों (₹1,25,900.00 करोड़) तथा राजस्व व्यय (₹1,24,840.01 करोड़) के परिणामस्वरूप ₹1,059.99 करोड़ का राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus) अनुमानित है।
  4. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा ₹19,695.63 करोड़ अनुमानित है। यह 2023-24 के राजकोषीय घाटा अनुमान (₹33,367.89 करोड़) की तुलना में काफी कम है।

वित्तीय विश्लेषण (राजस्व एवं व्यय)

1. राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts) वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल राजस्व प्राप्तियाँ ₹1,25,900.00 करोड़ अनुमानित हैं। राजस्व प्राप्तियों के अंतर्गत कर राजस्व और गैर-कर राजस्व का योगदान महत्वपूर्ण है:

A. कर राजस्व (Tax Revenue)

  • कर राजस्व में राज्य का स्वयं का कर राजस्व (Own Tax Revenue) तथा केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा शामिल है।
  • कुल कर राजस्व अनुमान (2024-25): ₹93,700.00 करोड़।
  • कुल राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का योगदान: 2024-25 में यह योगदान 74.42 प्रतिशत अनुमानित है।
  • राज्य का स्वयं का कर राजस्व: 2024-25 में यह ₹49,700 करोड़ अनुमानित है, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 22.41 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि अनुमानित है।
  • केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा: 2024-25 में यह ₹44,000 करोड़ अनुमानित है, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 10.69 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।

B. गैर-कर राजस्व (Non-Tax Revenue)

  • गैर-कर राजस्व में राज्य का स्वयं का गैर-कर राजस्व तथा केंद्र से प्राप्त सहायता अनुदान शामिल हैं।
  • कुल गैर-कर राजस्व अनुमान (2024-25): ₹32,200.00 करोड़।
  • राज्य का स्वयं का गैर-कर राजस्व: 2024-25 में यह ₹18,700 करोड़ अनुमानित है।
  • केंद्र से सहायता अनुदान (Grant-in-Aid from Centre): 2024-25 में यह ₹13,500 करोड़ अनुमानित है।
  • नोट: गैर-कर राजस्व प्राप्तियों में राज्य के स्वयं के गैर-कर राजस्व का योगदान 58.07 प्रतिशत अनुमानित है।

2. राजस्व व्यय (Revenue Expenditure)

वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल राजस्व व्यय ₹1,24,840.01 करोड़ अनुमानित है। राजस्व व्यय के प्रमुख घटक इस प्रकार हैं:

मद (Item) राशि (₹ करोड़ में)
वेतन एवं भत्ते (Wages & Allowances)34,955.74
पेंशन (Pension)7,390.41
ब्याज (Interest)7,931.01
मजदूरी (Labour/Wages)1,431.20
अन्य (Others)73,131.65
कुल राजस्व व्यय1,24,840.01


जाने छत्तीसगढ़ राज्य की वित्त स्थिति कैसी है?

ये खंड लोक वित्त के संदर्भ में राज्य की वित्तीय स्थिति दर्शाते हैं:

  1. पूंजीगत प्राप्तियाँ (Capital Receipts): वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूंजीगत प्राप्तियाँ ₹21,600.02 करोड़ अनुमानित हैं।
  2. कुल प्राप्तियाँ (Total Receipts): वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल प्राप्तियाँ (I+II) ₹1,47,500 करोड़ अनुमानित हैं।
  3. कुल व्यय (Total Expenditure): वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल व्यय (राजस्व व्यय + पूंजीगत व्यय) ₹1,47,445.63 करोड़ अनुमानित है।
  4. राजस्व घाटा/अधिशेष की प्रवृत्ति: जहाँ 2022-23 (लेखा) में राजस्व अधिशेष ₹8592.10 करोड़ था, वहीं 2023-24 (पु.अ.) में यह घाटा होकर (₹15669.55 करोड़) हो गया था, जिसे 2024-25 (ब.अ.) में पुनः ₹1059.99 करोड़ के अधिशेष में बदल दिया गया है।

छत्तीसगढ़ Cg Vyapam/CGPSC परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Fiscal Indicators for Exams)

  • राजस्व प्राप्तियाँ/कुल प्राप्तियाँ (%): 85.36%। (यह दर्शाता है कि राज्य की अधिकांश प्राप्तियां राजस्व खाते से आती हैं)।
  • राज्य के स्वयं के कर राजस्व/राजस्व प्राप्तियां (%): 54.33%
  • कर राजस्व/कुल राजस्व प्राप्तियाँ (%): 72.66%
  • केंद्रीय करों में हिस्सा/केंद्र से प्राप्तियां (%): 76.52%
  • राजस्व व्यय/राजस्व प्राप्तियाँ (%): 99.16%। (यह 100% से कम होना राजस्व अधिशेष को इंगित करता है)।
  • पूंजीगत व्यय/कुल व्यय (%): 15.12%
  • राजकोषीय घाटा (राजस्व व्यय में सम्मिलित ब्याज भुगतान सहित): ₹19,695.63 करोड़
  • प्राथमिक घाटा (Primary Deficit): ₹11,844.62 करोड़

निष्कर्ष

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के लोक वित्त आंकड़े यह दर्शाते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus) की स्थिति को बनाए रखने का लक्ष्य रखा है। कर राजस्व और राजस्व प्राप्तियों में अनुमानित मजबूत वृद्धि दर (क्रमशः 16.61% और 13.07%) राज्य के राजस्व आधार में सुधार का संकेत देती है। हालांकि, राजकोषीय घाटा ₹19,695.63 करोड़ पर बना हुआ है, जिसे पूंजीगत व्यय के माध्यम से समायोजित करने का प्रयास किया जाएगा।

Source: Economic Survey 2024-25, Government of Chhattisgarh (Directorate of Economics and Statistics, Chhattisgarh) [All sources]

छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मूल्य नियंत्रण | Economic Survey 2024-2025 (Part-3)

छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मूल्य नियंत्रण: 2024-25 के महत्वपूर्ण तथ्य और MSP दरें

छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मूल्य नियंत्रण: 2024-25 के महत्वपूर्ण तथ्य और MSP दरें

यह विश्लेषण छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के "मूल्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली" अध्याय पर आधारित है, जिसे CGPSC, UPSC तथा अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है।

छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के मुख्य आंकड़े, धान का समर्थन मूल्य (MSP), और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की विस्तृत जानकारी।

परिचय / Introduction

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का कार्यान्वयन राज्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इसके माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को खाद्यान्न, शक्कर (Sugar), केरोसीन (Kerosene), नमक (Salt) और चना (Gram) जैसी आवश्यक वस्तुएं उचित मूल्य दुकानों (Fair Price Shops) पर उपलब्ध कराई जाती हैं।

वर्तमान में, PDS प्रणाली के अंतर्गत प्रति माह लगभग 79.61 लाख राशन कार्डधारियों को उनकी पात्रता के अनुसार राशन सामग्री का वितरण किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु / Highlights

  • PDS दुकानों की संख्या: अक्टूबर 2024 की स्थिति के अनुसार, राज्य में कुल 13,879 उचित मूल्य दुकानें संचालित हैं।
    • शहरी क्षेत्र (Urban): 1,885 दुकानें।
    • ग्रामीण क्षेत्र (Rural): 11,994 दुकानें।
  • समर्थन मूल्य (MSP) 2024-25: केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए धान (Paddy) के लिए निम्नलिखित समर्थन मूल्य घोषित किए गए हैं:
    • धान (सामान्य / Common): ₹2,300 प्रति क्विंटल
    • धान (ग्रेड–ए / Grade–A): ₹2,320 प्रति क्विंटल
  • खरीदी और पंजीकरण: खरीफ वर्ष 2024–25 में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी **14 नवंबर, 2024 से 31 जनवरी, 2025** तक की जाएगी।
  • इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान विक्रय हेतु 27.74 लाख किसानों द्वारा पंजीकरण कराया गया है।

क्षेत्रवार विश्लेषण (मूल्य स्थिति)

मूल्य की स्थिति का आकलन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर किया जाता है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) (नवंबर 2024, आधार वर्ष 2012)

नवंबर 2024 में छत्तीसगढ़ का औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भारत के सामान्य सूचकांक की तुलना में महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ का औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ग्रामीण, नगरीय और संयुक्त क्षेत्रों के लिए क्रमशः 195.1, 187.6 और 192.3 रहा।

क्षेत्र छत्तीसगढ़ (Index) भारत (India Index)
ग्रामीण (Rural) 195.1 199.4
नगरीय (Urban) 187.6 193.2
संयुक्त (Combined) 192.3 196.5

मुद्रास्फीति की दरें (Inflation Rates - 2024)

सामान्य सूचकांक के आधार पर छत्तीसगढ़ में मुद्रास्फीति (Inflation) की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक दर्ज की गई है:

  • कुल मुद्रास्फीति (Total Inflation - General Index):
    • छत्तीसगढ़: 8.39%
    • भारत: 5.48%।
  • ग्रामीण मुद्रास्फीति (Rural Inflation): छत्तीसगढ़ में ग्रामीण मुद्रास्फीति की दर 9.65% रही।
  • शहरी मुद्रास्फीति (Urban Inflation): छत्तीसगढ़ में शहरी मुद्रास्फीति की दर 6.35% रही।

थोक मूल्य सूचकांक (WPI)

थोक मूल्य सूचकांक (WPI) अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जो मुद्रास्फीति, उत्पादन लागत और आर्थिक नीतियों के निर्धारण में सहायता करता है।

  • अक्टूबर 2024 में सभी वस्तुओं (All commodities) के लिए WPI 156.7 रहा।
  • WPI का उपयोग सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक और वित्तीय नीतियाँ बनाने में किया जाता है।

योजनाएँ / Policies / Key Facts

1. छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम, 2012

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य था जिसने **राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013** के लागू होने से पूर्व ही **खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम, 2012** लागू किया।

  • राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 58.38 लाख परिवारों को अंत्योदय (Antyodaya) और प्राथमिकता (Priority) राशनकार्ड जारी किए गए हैं।
  • प्राथमिकता राशनकार्ड में लगभग **2 करोड़ सदस्य** दर्ज हैं, जिन्हें प्रति माह **5 किलो** खाद्यान्न प्रति व्यक्ति की पात्रता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत चावल **₹3 रुपये प्रति किलो** की दर से प्रदान किया जाता है।

2. राशन कार्ड और पात्रता

राज्य में छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कुल 79.61 लाख राशनकार्ड प्रचलित हैं। इनमें 15.15 लाख अंत्योदय, 55.38 लाख प्राथमिकता, 16,843 निःशक्तजन राशनकार्ड तथा 8.58 लाख सामान्य श्रेणी के राशनकार्ड शामिल हैं।

कार्ड का प्रकार उपभोक्ता दर (चावल) मासिक पात्रता (चावल)
अंत्योदय (Antyodaya) ₹1 प्रति कि.ग्रा. 35 कि.ग्रा. प्रति माह
प्राथमिकता (Priority) ₹1 प्रति कि.ग्रा. 7 कि.ग्रा. प्रति व्यक्ति (03 से 05 सदस्य वाले राशनकार्ड के लिए 35 कि.ग्रा.)
निःशक्तजन (Nishaktajan) निःशुल्क 10 कि.ग्रा. प्रति माह
सामान्य (General) ₹10 प्रति कि.ग्रा. 10 से 35 कि.ग्रा. (सदस्य संख्या के आधार पर)

वर्तमान छूट: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM Garib Kalyan Anna Yojana) के अंतर्गत अंत्योदय, प्राथमिकता, और निःशक्तजन राशनकार्डों को राज्य शासन के निर्णय अनुसार निशुल्क खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है।

3. PDS में पारदर्शिता और डिजिटलीकरण

राज्य शासन द्वारा PDS में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए हैं:

  • PDS ऑनलाइन व्यवस्था: PDS के कंप्यूटरीकरण का कार्य वर्ष 2007 में प्रारंभ किया गया था। वर्तमान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के समस्त क्रियाकलापों का कंप्यूटरीकरण किया जा चुका है।
  • ई-पॉस (E-PoS) मशीन: वित्तीय वर्ष 2024-25 में अक्टूबर 2024 तक राज्य की सभी 13,879 दुकानों में ई-पॉस मशीन के माध्यम से खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है।
  • धान खरीदी का कंप्यूटरीकरण: खरीफ वर्ष 2007-08 से ही धान खरीदी व्यवस्था को कंप्यूटरीकृत किया गया था।
  • चावल उत्सव (Chawal Utsav): फरवरी 2008 से प्रारंभ। यह प्रत्येक माह की **07 तारीख** को उचित मूल्य दुकान वाले गांवों में आयोजित होता है।
  • कॉल सेंटर (Toll-Free): पारदर्शिता बढ़ाने हेतु **जनवरी 2008** से कॉल सेंटर संचालित है। इसके टोल-फ्री नंबर हैं: **1967** और **1800–233–3663**।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

1. समर्थन मूल्य की तुलना (2024-25)

वर्ष 2024-25 में प्रमुख फसलों के लिए समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि हुई है:

फसल 2023-24 (MSP - ₹) 2024-25 (MSP - ₹)
धान (सामान्य / Common)2,1832,300
धान (ग्रेड-ए / Grade-A)2,2032,320
ज्वार (Jowar)3,1803,371
बाजरा (Bajra)2,5002,625
रागी (Ragi)3,8464,290
उड़द (Urad)6,9507,400

2. खाद्यान्न वितरण (2024-25 अक्टूबर तक)

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामग्री का आवंटन और उठाव (टन में, अक्टूबर 2024 तक की स्थिति):

सामग्री 2024-25 आवंटन (Allocation) (टन) 2024-25 उठाव (Lifting) (टन)
चावल (Rice)27,62,93916,64,792.56
शक्कर (Sugar)77,52647,746.40
नमक (Salt)59,909.2758,970.13
चना (Gram)41,343.5537,931.18

3. अतिरिक्त वितरण योजनाएँ

  • अंत्योदय एवं प्राथमिकता परिवारों को राशन कार्ड के अतिरिक्त 1 किलो शक्कर (Sugar) **₹17 प्रति कि.ग्रा.** की दर से प्रदान की जाती है।
  • बस्तर संभाग के जिलों में अंत्योदय एवं प्राथमिकता राशन कार्डधारियों को प्रतिमाह **02 किलो गुड़** (Jaggery) **₹17 प्रति किलो** की दर से प्रदान किया जाता है।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली राज्य की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक मजबूत आधारस्तंभ बनी हुई है। वर्ष 2024-25 में धान के समर्थन मूल्य (MSP) में महत्वपूर्ण वृद्धि किसानों को प्रोत्साहन दे रही है, जबकि CPI के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि राज्य में मुद्रास्फीति पर निरंतर निगरानी की आवश्यकता है। PDS का व्यापक कंप्यूटरीकरण और 'चावल उत्सव' जैसी पहलें वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाने की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों को उजागर करती हैं।

Source: Economic Survey 2024-25, Government of Chhattisgarh.

छत्तीसगढ़ की राज्यीय आय 2024-25: मुख्य स्रोत, क्षेत्रीय योगदान | CG Economic Survey State Income 2024-25 (Part-2)

छत्तीसगढ़ की राज्यीय आय (State Income) और मुख्य आय के स्रोत – आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25

Gyaan INside प्रस्तुत करता है आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25 पर आधारित एक विस्तृत विश्लेषण — जिसमें छत्तीसगढ़ की राज्य आय, GSDP, और प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों की जानकारी शामिल है। यह लेख CGPSC, CGVYAPAM और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है।


Chhattisgarh State Income and GSDP 2024–25 – Economic Survey Data Visualization


परिचय

छत्तीसगढ़ एक खनिज-समृद्ध राज्य है जिसकी अर्थव्यवस्था का ढाँचा कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों के संतुलन पर आधारित है। राज्य सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25 के अनुसार, राज्य की आर्थिक प्रगति लगातार बढ़ रही है।

राज्यीय आय क्या है? (What is State Income / GSDP)

राज्यीय आय (GSDP) किसी राज्य की कुल आर्थिक उत्पादकता को दर्शाती है। यह दो प्रकार से मापी जाती है — प्रचलित मूल्य (Current Prices) और स्थिर मूल्य (Constant Prices, 2011–12)।

2024–25 में छत्तीसगढ़ का GSDP ₹5,67,88,043 लाख रुपये (₹5.68 लाख करोड़) रहा, जबकि 2023–24 में यह ₹5,21,07,049 लाख रुपये था — यानी 8.97% वृद्धि दर।

वर्षGSDP (लाख रुपये)वृद्धि दर (%)
2019–203,44,67,204
2020–213,53,25,7512.49
2021–224,11,63,23516.53
2022–23 (P)4,85,99,13218.07
2023–24 (R)5,21,07,0497.22
2024–25 (A)5,67,88,0438.97

(P: Provisional, R: Revised, A: Advance Estimate)

Exam Tip: छत्तीसगढ़ का GSDP 2024–25 में ₹5.68 लाख करोड़, वृद्धि दर (constant) 8.99% है।

उप-क्षेत्रों की परिभाषा और महत्व

राज्य अर्थव्यवस्था के तीन मुख्य क्षेत्र — कृषि, उद्योग और सेवा —जो की कई उप-क्षेत्रों में विभाजित हैं। कृषि में फसलें, पशुपालन; उद्योग में खनन, विनिर्माण; और सेवा में व्यापार, परिवहन, वित्त आदि शामिल हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25 के अनुसार, स्थिर मूल्यों पर कुल GSDP ₹3,07,32,700 लाख रुपये अनुमानित है। इसमें उद्योग उप-क्षेत्रों की प्रमुख भूमिका है — विशेषकर खनन (Mining)

Exams Tip: Sub-sector wise GVA share में Mining का योगदान लगभग 21% है।

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र

2024–25 में कृषि का योगदान 16.80% रहा। प्रमुख उप-क्षेत्र — फसलें (धान मुख्य), पशुपालन, वानिकी। मानसून आधारित होते हुए भी योजनाओं से स्थिर वृद्धि देखी गई।

उप-क्षेत्र2019–202024–25 (A)
फसलें3,92,0245,16,782
पशुपालन1,73,7702,11,670
वानिकी2,92,4754,08,513

Key Fact: धान उत्पादन 2023–24 में 77 लाख MT, 2024–25 में 80 लाख MT अनुमानित। छत्तीसगढ़ को “Rice Bowl of Central India” कहा जाता है।

उद्योग क्षेत्र

उद्योग छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। 2024–25 में उद्योग का योगदान 47.90% रहा। मुख्य उप-क्षेत्र — खनन, विनिर्माण, बिजली, निर्माण।

उप-क्षेत्रGVA (लाख रुपये)Share (%)
खनन एवं उत्खनन1,19,06,61121.0
विनिर्माण87,32,89015.4
बिजली, गैस, जल30,72,4005.4
निर्माण30,03,8005.3
Exams Tip: Mining का GSDP में योगदान लगभग 21% है। प्रमुख कंपनियाँ – NMDC, SAIL, BALCO, SECL।

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सेवा क्षेत्र

सेवा क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है — 35.30% हिस्सा। इसमें व्यापार, परिवहन, वित्तीय सेवाएँ और सार्वजनिक प्रशासन शामिल हैं।

उप-क्षेत्र2023–242024–25Growth (%)
व्यापार, होटल41,04,98644,50,00010.73
परिवहन, संचार20,16,70022,30,0009.50
वित्तीय सेवाएँ15,67,89017,20,00011.20


परीक्षा हेतु त्वरित तथ्य

  • GSDP (2024–25): ₹5.68 लाख करोड़
  • Growth Rate (constant): 8.99%
  • Industry Share: 47.90%
  • Mining Contribution: 21%
  • Agriculture Share: 16.80%
  • Services Share: 35.30%
  • मुख्य फसल: धान (Paddy)
  • मुख्य खनिज: कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट
  • मुख्य योजनाएँ: राजीव गांधी किसान न्याय, गोधन न्याय

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था एक Balanced Developing Economy के रूप में उभर रही है, जहाँ खनिज और उद्योग आर्थिक मजबूती देते हैं, कृषि ग्रामीण जीवन का आधार है, और सेवाएँ नए रोजगार अवसर पैदा कर रही हैं।


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छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 आर्थिक समीक्षा (Part-1) Summary in hindi

छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 | CG Economic Survey 2024-25 Summary in Hindi


परिचय

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 राज्य की आर्थिक स्थिति, विकास दर और सामाजिक प्रगति का वार्षिक मूल्यांकन है। यह सर्वेक्षण राज्य की वित्तीय नीतियों, कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र और मानव विकास से जुड़े प्रमुख पहलुओं की झलक देता है। यह रिपोर्ट आगामी बजट 2025-26 की नींव भी बनती है।

सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP)

  • 2023-24 में राज्य का GSDP ₹5.67 लाख करोड़ रहा,
  • 2024-25 में यह बढ़कर लगभग ₹6.35 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।
  • विकास दर (Growth Rate) — 6.2 %, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  • प्रति व्यक्ति आय — ₹1,45,000 (निरंतर वृद्धि के साथ)।

कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था

कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है — लगभग 30 % GSDP इसी से आता है। प्रमुख फसलें — धान, तिलहन, दालें और गन्ना।

सरकार की धान खरीदी योजना, मुख्यमंत्री कृषि विकास योजना और गोधन न्याय योजना जैसी पहलों से किसानों की आय में वृद्धि हुई है। जिसके कारण वर्ष 2024-25 में कृषि वृद्धि दर — 4.5 % रही।

औद्योगिक विकास

  • उद्योग का योगदान वर्ष 2024-25 के लिए — 35 % GSDP।
  • मुख्य खनिज — लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट और स्टील उद्योग।
  • औद्योगिक नीति 2024-29 के तहत MSME सेक्टर और निवेश को प्रोत्साहन।
  • रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर और दुर्ग जिले मुख्य औद्योगिक केंद्र।

सेवा क्षेत्र (Service Sector)

सेवा क्षेत्र का योगदान वर्ष 2024-25 के लिए 42 % है। जिसमे  शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी सेवाएँ, परिवहन और पर्यटन मुख्य हिस्से हैं। डिजिटल गवर्नेंस और ई-सेवा केंद्र ने इस क्षेत्र को गति दी है।

वित्तीय प्रबंधन और राजकोषीय स्थिति

  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) — 2.97 % of GSDP
  • राजस्व प्राप्ति में डिजिटल कर सुधार से सुधार आ रहा है।
  • ऋण प्रबंधन संतुलित रहा — वित्तीय अनुशासन सुरक्षित।
  • राज्य की ऋण सीमा केंद्र के मानदंडों के अंतर्गत।

सामाजिक क्षेत्र और मानव विकास

सरकार का विशेष ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर है। साक्षरता दर बढ़ी, संस्थागत प्रसव में सुधार हुआ और पोषण योजनाएँ विस्तारित हुईं। मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना और आदिवासी छात्रवृत्ति कार्यक्रम से युवा सशक्त हो रहे हैं।

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पर्यावरण एवं सतत विकास

राज्य ने हरित ऊर्जा (Renewable Energy) और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी है। सौर ऊर्जा, वन संवर्धन और जल-संरक्षण परियोजनाएँ चल रही हैं। “हरित छत्तीसगढ़ मिशन” के अंतर्गत वृक्षारोपण और ऊर्जा बचत अभियान सक्रिय हैं।

परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु

  1. रिपोर्ट — छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 (Annual Review)
  2. अनुमानित GSDP — ₹6.35 लाख करोड़
  3. विकास दर — 6.2 %
  4. कृषि वृद्धि दर — 4.5 %
  5. उद्योग योगदान — 35 %, सेवा — 42 %
  6. राजकोषीय घाटा — 2.97 % GSDP का
  7. प्रति व्यक्ति आय — ₹1.45 लाख
  8. मुख्य पहल — हरित छत्तीसगढ़ मिशन
  9. रिपोर्ट बजट 2025-26 की नींव है।

निष्कर्ष

यह सर्वेक्षण राज्य की स्थिर और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था की झलक पेश करता है। कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र के संतुलित विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और पर्यावरण संरक्षण पर राज्य सरकार का स्पष्ट फोकस है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ “आर्थिक आत्मनिर्भरता” और “गति से विकास” की ओर अग्रसर है।


📄 स्रोत: छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 (Cg Samiksha PDF) · यह लेख CGPSC/Vyapam अभ्यर्थियों के लिए संक्षिप्त रूप में तैयार किया गया है।

छत्तीसगढ़ बजट 2025-26 Highlights: GATI थीम व मुख्य सारांश

छत्तीसगढ़ बजट 2025-26 Highlights, Theme, GATI Full Form & Summary | CG Budget 2025 PDF

छत्तीसगढ़ बजट 2025-26 Highlights, GATI थीम, Full Form, और मुख्य बिंदु  CG Budget 2025 Summary in Hindi

छत्तीसगढ़ बजट 2025-26 : मुख्य बिंदु, थीम, तिथि, राशि एवं GATI योजना का सारांश

छत्तीसगढ़ बजट 2025-26 को राज्य के वित्त मंत्री द्वारा 3 मार्च 2025 को विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। यह बजट राज्य की आर्थिक स्थिरता, ग्रामीण विकास, युवाओं और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है।

🎯 बजट 2025-26 की थीम (Theme)

इस वर्ष के बजट की थीम है – “गति से विकास, सबके साथ विश्वास”

GATI का पूरा रूप (Full Form): Growth, Accountability, Transparency & Innovation

थीम का उद्देश्य राज्य के विकास कार्यों में गति लाना, वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाना और नवाचार को प्रोत्साहित करना है।

💰 कुल बजट आकार (Total Budget 2025-26)

  • कुल बजट राशि: ₹1,79,540.93 करोड़
  • कुल आय अनुमान: ₹1,65,100 करोड़
  • कुल व्यय: ₹1,65,000 करोड़
  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): ₹22,900 करोड़ (GSDP का 2.97%)
  • राज्य का GSDP: ₹6,35,917 करोड़

📊 राजस्व एवं व्यय का सारांश

श्रेणी 2024-25 (Revised) 2025-26 (Budgeted) वृद्धि
कुल राजस्व प्राप्ति₹1,52,013 करोड़₹1,65,100 करोड़+8.6%
कुल व्यय₹1,51,700 करोड़₹1,65,000 करोड़+8.8%
राज्य का स्वयं का कर राजस्व₹68,400 करोड़₹76,000 करोड़+11%
केंद्रीय सहायता एवं अनुदान₹57,500 करोड़₹65,000 करोड़+13%

🏗️ प्रमुख विकास क्षेत्र

  • सड़क एवं आधारभूत संरचना: 52% तक वृद्धि
  • स्वास्थ्य और शिक्षा: जनसुविधा सुधार हेतु विशेष प्रावधान
  • कृषि एवं ग्रामीण विकास: सिंचाई, बीज, फसल बीमा पर अधिक खर्च
  • युवा सशक्तिकरण: कौशल विकास मिशन, स्टार्टअप एवं रोजगार योजनाएँ
  • महिला सशक्तिकरण: स्व-सहायता समूहों को बढ़ावा

📈 आर्थिक संकेतक (Economic Indicators)

  • राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP): ₹6,35,917 करोड़
  • राजकोषीय घाटा: 2.97%
  • राजस्व घाटा: ₹2,804 करोड़
  • ऋण भुगतान (Debt Servicing): ₹9,515 करोड़

🔑 विशेष प्रावधान (Special Provisions)

  • पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में ₹4,000 करोड़ की Special Central Assistance (SCA)
  • नई परियोजनाएँ: सड़क निर्माण, बिजली व्यवस्था सुधार, अस्पताल उन्नयन, डिजिटल गवर्नेंस
  • Net Fiscal Deficit (SCA घटाकर): ₹18,900 करोड़

📚 परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु

  1. बजट वर्ष – 2025-26
  2. प्रस्तुति तिथि – 3 मार्च 2025
  3. थीम – गति से विकास, सबके साथ विश्वास
  4. GATI Full Form – Growth, Accountability, Transparency, Innovation
  5. कुल बजट – ₹1,79,540.93 करोड़
  6. राजकोषीय घाटा – ₹22,900 करोड़ (2.97% GSDP)
  7. राज्य का GSDP – ₹6,35,917 करोड़
  8. पूंजीगत सहायता (SCA) – ₹4,000 करोड़
  9. मुख्य फोकस – कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला और युवा सशक्तिकरण

🧭 निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ बजट 2025-26 एक संतुलित एवं विकासोन्मुख बजट है, जिसमें राज्य सरकार ने “गति” के माध्यम से विकास को नई दिशा देने का संकल्प लिया है। यह बजट पारदर्शिता, नवाचार और आर्थिक अनुशासन पर आधारित है, जो छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर और तेज़ी से विकसित राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।


📄 स्रोत: छत्तीसगढ़ सरकार बजट सारांश 2025-26 (Finance Department PDF)

भारतीय मंदिरों की वास्तुकला: नागर, द्रविड़, बेसर शैली व मथुरा–गांधार कला

भारत में मंदिरों का इतिहास पुराना है गुप्‍तकाल से मंदिरों का अनेक शैलियों में निर्माण शुरू हुआ जो आगे विकसित होती चली गई। भारतीय मंदिरों में खास बात यह है कि यह कई शैलियों में निर्मित है इस कारण हर भारतीय मंदिर में कुछ अलग खास देखने को मिलता है इसमें विभिन्न कलाकृतियां, नृर्तक मूतियॉं, पशु-पक्षियों के आकृति आदि बने होतें है।


मंदिरों की विभिन्‍न शैलियाँ

भारतीय मंदिर अनेक भागों से निर्मित होते हैं 

1. गर्भ गृह - प्रारंभिक काल के मंदिरों में छोटा सा प्रकोष्‍ठ (स्‍थान) होता है, जिसमें प्रवेश के लिए छोटा सा द्वार होता है। परन्‍तु समय के साथ-साथ यह प्रकोष्‍ठ का आकार बढ़ते चले गए हैं। गर्भ गृह में ही देवी.देवताओं की मूर्तियां स्‍थापित की जाती हैं। 

2. मंडप - मंदिर के प्रवेश कक्ष को मंडप कहते हैं जो कि आकार में बड़ा होता है। मंडप की छत स्‍तम्‍भों या खम्‍भों से टिका होता है। मंडप में भारी संख्‍या में भक्‍त इकठ्ठा होते हैं।

3. शिखर या विमान - पुराने समय से भारत में मंदिरों में शिखर का निर्माण किया जाता है इसे ही दक्षिण भारत में विमान कहा गया है।

भारत में मंदिरों की तीन शैलियां 

1. नागर शैली  2. द्रविड़ शैली  3. बेसर शैली

नागर शैली मंदिर | Nagar Style Temple

नागर शैली का शब्द नागर 'नगर' से बना है, चूंकि सबसे पहले इस शैली का निर्माण नगर में हुआ था इस कारण नागर शैली कहा गया। इसे 8वीं सदी से 13वीं सदी के मध्य भारतीय शासकों ने संरक्षण प्रदान किया। उत्‍तर भारत के अधिकतर मंदिरों का निर्माण प्राय: नागर शैली में होते हैं साथ ही बंगाल, उड़ीसा, गुजरात आदि जगहों पर भी इस शैली के मंदिर देखने को मिलते हैं।

इस शैली की खास बात यह है कि पूरा मंदिर एक विशाल चबूतरे पर बनाया जाता है। जिसमें पहुचने के लिए सीढियां बनाई जाती है। मंदिर में घुमावदार गुबंद बना होता जिसे शिखर कहते है। इस शिखर का आधार वर्गाकार या चौकोर होता है। 

उदाहरण के लिए उड़ीसा में कोणार्क का सूर्य मंदिर, मध्‍यप्रदेश का खजुराहो मंदिर आदि।

नागर शैली

द्रविड़ शैली मंदिर | Dravid Style Temple

इस शैली के मंदिर मुख्‍य रूप से दक्षिण भारत में देखने को मिलते हैं। द्रविड़ शैली में मंदिर निर्माण का काल 8वीं सदी से 18वीं सदी तक मानी जाती है। चोल काल में द्रविड़ शैली की वास्तुकला में मूर्तिकला और चित्रकला का संगम हो गया।

द्रविड़ शैली में पूरा मंदिर चार दिवारी से घिरा होता है और इसके बीच से प्रवेश द्वार होता है जिसे गोपुरम कहते है। मंदिर के शिखर को विमान कहा जाता है जो कि सीढीदार पिरामीड की तरह होता है और ज्‍यामीतिय रूप से उठा होता है। इनमें अनेक मंजिलें पाई जाती है, विमान के चोटी पर अनेक मुकुट जैसी आकृति बनीं होती है। मंदिर के अंदर लम्‍बा-चौड़ा प्रांगण होता है जिसमें अनेक छोटे मंदिर, कक्ष, तालाब, बगीचा, प्रदक्षिणा पथ होते हैं।

उदाहरण के लिए मीनाक्षी मंदिर मदुरै, तंजावुर का बृ‍हदेश्‍वर मंदिर कर्नाटक आदि।

द्रविड शैली

बेसर शैली मंदिर | Baser Style Temple

यह उपरोक्‍त नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रित रूप से बना हुआ है। जो कि चालुक्‍य व होयसल कालीन मंदिरों में देखने को मिलती है। 

इस शैली के मंदिर विंध्याचल पर्वत से लेकर कृष्णा नदी तक पाए जाते हैं। बेसर शैली में मंदिरों का विकास 8वीं से 13वीं सदी तक हुआ।

उदाहरण के लिए झांसी जिले का देवगढ का दशावतार मंदिरकानपुर का भीतरगांव मंदिर

भारतीय मंदिरों की महत्वपूर्ण मूर्तिकला शैलियां | (गांधार शैली एवं मथुरा शैली)  

अधिकांश बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण मथुरा एवं गांधार शैलियों में देखने को मिलता है परन्तु कई बार प्रश्न उठते है कि किस शैली में सर्वप्रथम बौद्ध मूर्तियों का निर्माण हुआ, दोनों शैलियों से उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह मत प्रतिपादित किया गया कि बुद्ध प्रतिमाओं का निर्माण दोनो कलाओं में साथ साथ प्रारंभ हुआ है। आधुनिक काल के मथुरा जनपद का भौगोलिक क्षेत्र प्राचीन शूरसेन राज्य के नाम से विख्यात था। जिस प्रकार गान्धार क्षेत्र में विकसित कला को 'गान्धार कला' से सम्बोधित किया गया, उसी प्रकार मथुरा क्षेत्र में पल्लवित एवं विकसित कला को मथुरा कला कहते हैं।


गांधार शैली | मथुरा शैली

गांधार शैली मूर्तिकला | Gandhar Style Sculpture

गांधार शैली यूनानी प्रभाव से उत्पन्न हुआ है एवं उसमें भारतीयता का प्रभाव है। गांधार मूर्तिकला की अनेक कृतियां बुद्ध काल से जुड़ी हुई है। बुद्ध के अधिकांश मूर्तियों में उन्हें सन्यासी के वस्त्रों में दर्शाया जाता है। गान्धार शैली में बैठी हुई बुद्ध-मूर्तियां पद्मासन अथवा कमलासन पर हैं।  उनका मस्तक इस तरह से दिखाई देता है, मानों उनसे आध्यात्मिक शक्ति बिखर रही है। उनकी मूर्तियों में बड़ी-बड़ी आखें, सिर पर उभार व तीसरा नेत्र दर्शाया गया है जिससे यह बतलाते है कि वह सब देख रहे है, सब सुन रहे है और सब कुछ समझ रहे हैं।

 
गांधार शैली के विकास के दो चरण हैं -
1. पत्थर निर्मित मूर्ति कला का चरण
2. प्लास्टर निर्मित मूर्ति कला का चरण

 गांधार शैली की विशेषताएं - 

1. इस शैली में मुख्य रूप से बुद्ध से जुड़ी कहानियां, किस्से, उनकी ज्ञान प्राप्ति यात्रा वृतांतों को दिखाया जाता है। जिसमें अन्य धर्म संबंधी मूर्तियों का अभाव दिखाई पड़ता है।

2. गांधार शैली में भगवान बुद्ध को मूंछ युक्त प्रदर्शित करते हुए दिखाया जाता है जबकि इसके अलावा भारत के अन्य शैलियों में बुद्ध की मूर्तिकला में मूंछ नहीं बनाई गई हैं।

3. गांधार कला में दो संस्कृतियों का मिश्रण देखने को मिलता है। मूर्तियों की शैली भारतीय तो है परन्तु उनके कलाकार या बनाने वाले यूनानी थे।

मथुरा शैली | Mathura Style Sculpture

तीसरी शताब्दी में मथुरा शैली मूर्तिकला का स्वर्णिम काल थी। मूर्तिकला अपनी सुन्दरता, विविधता और सृजनात्मक कला के कारण भारतीय कला में विशिष्ट स्थान रखती है, इनमें बुद्ध के अलावा वैष्णव, शैव देवताओं एवं जैन तीर्थकरों की मूर्ति निर्माण को भी सम्मलित किया गया है। कुषाण काल में बुद्ध एवं बोधिसत्व की मूर्तियों के निर्माण के लिए मथुरा शैली इतनी लोकप्रिय थी कि उत्तर मध्य पूर्वी भारत में इसकी बहुत मांग थी। जिसके साक्ष्य आज भी रांची, पटना, कौशाम्बी, श्रावस्ती, लुम्बिनी एवं बंगाल के प्रान्तों में देखने को मिलते है।

मथुरा शैली की विशेषताएं -

1. इस शैली में बनी मूर्तियों की विशेषता यह है कि यह सफेद चित्तिदार लाल पत्थरों से निर्मित होते है, जो मुख्य रूप से भरतपुर एवं सिकरी में बहुतायत में मिलते हैं। 

2. जबकि मथुरा शैली में बुद्ध सिंहासनासीन हैं तथा पैरों के समीप सिंह की आकृति होती है। जबकि गांधार शैली में बुद्ध पद्मासीन है।

3. जैन तीर्थंकर, बुद्ध, बोधिसत्व एवं कुछ ब्राह्मण धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियों का इस शैली में अंकन हुआ है।

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पोला और तीजा त्यौहार कैसे मनाते है और इसके पीछे की क्या-क्या मान्यताएँ है? | Pola par nibandh | Teeja par nibandh

पोला और तीजा त्यौहार क्या है और इसके पीछे की क्या-क्या मान्यताएँ है?

आज हम पोला और तीजा/हरतालिका तीज के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं, पोला जो कि भादो अमास्वया के दिन मनाया जाता है, उसके तीसरे दिन अर्थात् भादो तृतीया के दिन तीजा त्यौहार छत्तीसगढ़ में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। ज्ञानत्व है कि छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार हरेली को कहा जाता है जिसके विषय में पूर्व में बताया गया है। इन दोनों त्यौहारों के बारे में जानेंगे।

    पोला त्यौहार क्या है? | What is Pola Tyohar?

    छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार भादो पक्ष की अमावस्या में मनाया जाता है, जो मूलतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। यह त्यौहार विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के साथ-साथ महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में भी मनाया जाता है। भादों में खेती किसानी कार्य समाप्त हो जाने के बाद खेतों में उपयोग में आए बैलो के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इस दिन सुबह से बैलों को नहलाकर सजाते है एवं उनकी पूजा-अर्चना करते है। साथ ही उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाते है।

    पोला त्यौहार से जुड़ी मान्यताएँ -

    पोला त्यौहार मनाने के पीछे मान्यता यह है कि इस दिन अन्नमाता गर्भधारण करती है, इसका अर्थ यह है कि इस दिन धान के पौधे में दूध भरता है। जिसके कारण इस दिन खेतों में जाने की मनाही होती है। 

    एक अन्य मान्यता के अनुसार विष्णु भगवान द्वापर युग में जब श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे तब से ही उनके मामा कंस से उनकी जान से मारने की योजना बनाई थी। कंस मामा ने तब से ही उनके जान लेने के लिए कई असुरों को श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा था, जिनमें से एक पोलासुर नामक एक असुर भी था। जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने लीला दिखाते हुए पोलासुर को मार दिया। इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा।

    पोला त्यौहार कैसे मनाते है?

    श्री कृष्ण अपने बाल्यावस्था में जिस लीला से पोलासुर को मारा इस कारण से यह त्योहार को बच्चों का त्योहार कहा जाने लगा। इस दिन बच्चें मिट्टी के बने बैलों को सजाकर उनकी पूजा करते है, साथ ही घर-घर बैलों को ले जाकर दक्षिणा मांगते है।

    गांव में युवक-युवतियाँ और बच्चों के साथ पोरा पटकने जाते है। पोरा पटकने का आश यह है कि इस परंपरानुसार यवक युवतियाँ एवं बच्चे अपने घर से लाए मिट्टी के खिलौने को एक विशेष निर्धारित जगह में फोड़ते है इसे ही पोरा पटकना कहते है उसके बाद टोली बनाकर मैदान में कबड्डी, सूरपाटी, खो-खो आदि पारंपरिक खेल खेलते है और मौज-मस्ती करते हुए त्योहार का आनंद लेते है।

    इस दिन बैलगाड़ी दौड़ की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। किसानों एवं ग्वालों द्वारा अपने बैलों को सजाकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए तैयार करते है। जीतने वाले विजयी बैलों एवं उनके मालिकों को पुरस्कृत किया जाता है।

    इस अवसर पर महिलाएँ मिट्टी के बने छोटे से घड़े (पोला) को परम्परागत रीति-रीवाजों के साथ विसर्जित करती है तथा घर में विशेष प्रकार के पकवान जैसे - ठेठरी, खुर्मी, मीठा चीला आदि बनाती है। इस प्रकार यह पर्व पुरूषों, महिलाएँ और बच्चें सभी साथ मिलकर उत्साहपूर्वक यह त्यौहार मनाते है।


    Bail Pola Tihar/tyohar

    तीजा त्यौहार (हरतालिका तीज) | Hartalika Tyohar | Teeja Tihar

    पोला के कुछ ही दिनों के बाद तीजा का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार देश के अन्य राज्यों में विशेषकर उत्तर भारत में हरतालिका तीज के नाम से मनाया जाता है जिसे छत्तीसगढ़ मे तीजा के नाम से जाना जाता है, जो कि भादो के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है। 

    तीजा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है? 

    हरतालिका तीज या तीजा का महत्व वैसे ही है जैसे करवाचौथ का है। जिस प्रकार करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएँ निर्जला व्रत रखती है उसी प्रकार तीजा में भी निर्जला व्रत रखा जाता है अर्थात् इस व्रत के दौरान पानी की एक बूदँ भी ग्रहण नही किया जाता है।

    ऐसी मान्यता है कि सर्वप्रथम मां पार्वती ने अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने के लिए भगवान् शिव के लिए रखा था उसी प्रकार सौभाग्यवती महिलाएँ अपने पति की लम्बी आयु एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए तथा अविवाहित युवतियां अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती है।


    यह त्योहार मनाने के लिए छत्तीसगढ़ की पतिव्रता महिलाएँ एक या दो दिन पहले ही अपने मायके जाती है, जिसके लिए मायके से कोई ना कोई उन्हें लेने के लिए आता है। तृतीया के पहले दिन महिलाएँ अपने मायके पहुँच जाती है।

    द्वितीय दिन में महिलाएँ परम्परागत विधि-विधानों का पालन करते हुए करू भात (करेले की सब्जी और पके हुए चावल) खाने के बाद से ही रात्रि बारह बजे से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, अगले रात के बारह बजे तक चलता है, वहीं जहां करवाचौथ में विवाहित महिलाएं सुबह से उपवास रख कर शाम को चाँद को देखकर अपना उपवास तोड़ती है, वहीं तीजा के व्रत को अगले रात 12 बजे तक (24 घंटो तक) निर्जला रखती है इस कारण इसे करवाचौथ से भी कठिन व्रत माना जाता है।

    तीजा के दिन मायके से मिले नए कपड़े पहन कर महिलाएं अपने आस-पड़ोस में जहाँ कहीं कथा हो रही हो वहां कथा सुनती है एवं पूजा करती है साथ ही अपनी पति की लम्बी उम्र की कामना करती है, साथ ही परिवार को सभी विपदाओं से रक्षा करने के लिए देवी-देवताओं से कामना करती हैं।

    दूसरे दिन अर्थात् चतुर्थ दिन को सभी नाते रिश्तेदार भाई-बहन आपस में मिलते जुलते है और प्रसाद फलाहार व भोजन ग्रहण करते है एवं हँसी खुशी इस त्यौहार को मनाते है। छत्तीसगढ़ में इन दोनों त्यौहारों को धूमधाम से मनाया जाता है।

    Happy Hartalika Teej Tija

    गत वर्ष में पूछे गए प्रश्न (CGPSC/CGVyapam asked Que.) -

    1. छत्तीसगढ़ त्यौहार पोला पर निबंध लिखिए। 

    (CGPSC मुख्य परीक्षा 2017 - 15  Marks)


    2. पोला (पोरा) से आप क्या समझते है। 
    (CGPSC मुख्य परीक्षा 2016 - 4 Marks)


    3. छत्तीसगढ़ के किसान, बैलों को किस त्यौहार में सजाते हैं? 
    (CGPSC Lib. 2017)


    4. छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व कब मनाया जाता है? 
    (CGPSC ACF 2016)


    5. पोला त्यौहार कब मनाया जाता है? 
    (CGVyapam E.S.C. 2017)


    6. हरतालिका उत्सव का क्या महत्व है? 
    (CGPSC Mains Paper 2018 - 2  Marks) 
    (CGPSC Mains 2015 - 4 Marks)


    7. छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीज त्यौहारों का वर्णन किजिए। 
    (CGPSC Mains 2012 - 10  Marks)

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    जानिए क्‍या है छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग | Chhattisgarh Rajbhasha Aayog in hindi

    chhattisgarh rajbhasha aayog

    यह लेख छत्‍तीसगढ़ के प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले विषय राजभाषा आयोग से संबंधित हैए चूंकि राज्‍य सेवा परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्‍न अकसर पूछ लिए जाते है। जिससे संबंधित जवाब इस लेख में है।

    हिमालय का निर्माण कैसे हुआ | हिमालय का प्रादेशिक विभाजन | Himalayas Mountain originate in hindi for Upsc notes

    आज हम हिमालय पर्वत के बारे में तथा उसकी उत्‍पत्ति विस्‍तार आदि के बारे में समझेगें एवं जानेंगे। भारत में हिमालय का विशेष महत्‍व है क्‍योंकि भारत के उत्‍तर में स्थित हिमालय पर्वतमाला शीतकाल में निकटवर्ती स्‍थानों की बर्फीली व ठंडी हवाओं से रक्षा करता है। साथ ही वर्षा ऋतु में मानसूनी पवनों को रोक कर वर्षा कराता है।

    Himalaya Mountain

    हिमालय के बारे में -

    हिमालय विश्‍व की सबसे नवीनतम मोड़दार वलित पर्वतमाला है जो कश्‍मीर से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक 2500 किलो‍मीटर लम्‍बाई में फैली हुई है, पूर्व में इसकी चौड़ाई 150 किलोमीटर है जबकि पश्चिम में इसकी चौड़ाई 500 किलोमीटर है। हिमालय पर्वत श्रेणी की औसत ऊँचाई 6000 मीटर है।

    हिमालय की उत्‍पत्ति या निर्माण कैसे हुआ? | How did the Himalayas Mountain originate?

    हिमालय की उत्पत्ति से संबंधित दो सिद्धांत निम्न है - 

    • भूसन्नति सिद्धान्त 
    • प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त 

    कोबर का भू-सन्‍नति सिद्धान्‍त | Kobar's theory of geo-suspension - 

    हिमालय की उत्‍पत्ति का सिद्धान्‍त "कोबर" (जर्मनी के वैज्ञानिक) ने दिया था। जिसे कोबर का भू-सन्‍नति सिद्धान्‍त कहते है। टेथिस सागर के दक्षिण भाग में एक महाद्वीप था जिसे गोडवाना भूमि कहा गया जिसके अवशेष आज दक्षिण अमेरिका के पूर्वी भाग, अफ्रीका, प्रायद्वीपीय भारत एवं आस्‍ट्रेलिया के रूप में विद्यमान है। टेथिस सागर के उत्‍तर में भी एक ऐसा ही महाद्वीप स्थित था। जिसको अंगारा भूमि कहते थे। इसके अवशेष एशिया, यूरोप एवं उत्‍तरी अमेरिका के रूप में विद्यमान है। जहाँ अभी हिमालय श्रेणी है वहाँ पहले टेथिस भूसन्‍नति कोबर के अनुसार हुआ करती थी। अंगारा लैण्‍ड और गोडवाना लैण्‍ड की नदियाँ अपने साथ गाद छावर टेथिस सागर सन्‍नति में गिराती थी। लाखों वर्षों के प्रक्रिया से यह चट्टान में परिवर्तित हो गई। जिसके कारण दबाव से परतें सिकुड़ कर उठने लगी तथा हिमालय व कुनलुन पर्वत श्रेणी बने तथा मध्‍य में तिब्‍बत का निर्माण हुआ। इसके अलावा हिमालय की उत्‍पत्ति की अवधारणा हेरी हैस का प्‍लेट विवर्तनिका का सिद्धान्‍त भी है।

    himalaya angaraland

    हेरी हैस का प्‍लेट विवर्तनिका सिद्धान्‍त | Harry Hayes's plate tectonic theory- 

    हैरी हैस के प्लेट विवर्तनिका के अनुसार टेथिस सागर के तल के विस्‍थापन के कारण एवं वलन के कारण भारतीय प्‍लेट, यूरेशियन प्‍लेट के साथ निरंतर वलित होती रही साथ ही ये प्लेट चलायमान थी जिससे इनके मध्य दबाव से मोड़दार वलित पर्वत का निर्माण हुआ और टेथिस सागर का तल अधिकाधिक ऊँचा उठता गया। परिणामस्‍वरूप कुछ ऐसी पर्वत श्रेणियाँ बनी जिन्‍हे चीन से लेकर यूरोप तक फैली हुई पाते है। इन्‍हें अल्‍पाइन समूह की पर्वत श्रेणियां भी कहते हैं। जिसका हिमालय पर्वत एक भाग है।

    Harry Hayes's plate tectonic theory

    हिमालय पर्वत श्रृंखला का विस्तार -

    हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों को चार भागों में बाँटा गया है -

    1. ट्रांस हिमालय क्षेत्र या तिब्‍बत हिमालय प्रदेश | Trans Himalayan or Tibet Himalayan region -

    इसका अधिकांश भाग तिब्‍बत में स्थित होने के कारण इसे तिब्‍बत हिमालय प्रदेश भी कहते है। इसका निर्माण जीवाश्‍म वाली समुद्री अवसादो से हुआ है, और इसकी निचली परत टर्शियरी ग्रेनाइट से बनी है। इसका मुख्‍य विस्‍तार जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य में हिमालय के उत्‍तर में है। इस भाग में वनस्‍पति का अभाव है, इस प्रदेश की तीन श्रेणियाँ है -
    •  काराकोरम श्रेणी
    •  लद्दाख श्रेणी
    •  जास्‍कर श्रेणी
    • काराकोरम श्रेणी (Karakoram Range) - यह भारत की सबसे उत्‍तरी पर्वत है। इसे उच्‍च एशिया की रीढ़ भी कहते है। भारत की सबसे ऊँची चोटी गाडविन आस्टिन (8611 मीटर) या K2 इसी में स्थित है, काराकोरम की नूब्रा घाटी में ही सिया‍चीन ग्‍लेशियर है।
    • लद्दाख श्रेणी (Ladakh Range) - यह काराकोरम के दक्षिण में स्थित है, लद्दाख श्रेणी का पूर्वी भाग कैलाश श्रेणी तिब्‍बत, चीन है।
    • जास्‍कर श्रेणी (Zaskar Range) - यह लद्दाख श्रेणी के दक्षिण एवं महान हिमालय के उत्‍तर में स्थित है लद्दाख श्रेणी व जास्‍कर श्रेणी के बीच सिंधु घाटी स्थित है।

    2. वृहद हिमालय या महान हिमालय या हिमाद्रि | Greater Himalaya or Greater Himalaya or Himadri -

    यह सिन्धु नदी के गार्ज से अरूणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक फैली हुई है या नंगा पर्वत से लेकर नामचाबारवा पर्वत तक दीवार के समान फैला हुआ है। विश्‍व की सर्वाधिक ऊँची चोटियां इसी श्रेणी में पाई जाती है। माऊन्‍ट एवरेस्‍ट (8848 मीटर) इसकी सबसे ऊँची चोटी है इसे नेपाल में सागरमाथा और तिब्‍बती भाषा में चोमोलूग्‍मा कहते है। इस श्रेणी की ढाल उत्‍तर की ओर मन्‍द और दक्षिण की ओर तीव्र है। इस श्रेणी के मध्‍य भाग से गंगा, यमुना और उसकी सहायक नदियों का उद्गम है।

    3. लघु या मध्‍य हिमालय या हिमाचल श्रेणी | Middle Himalayas or Himachal Range-

    इसका विस्‍तार मुख्‍य हिमालय के दक्षिण में है। इसकी चौड़ाई 80 से 100 किमी. के बीच है तथा इसकी ऊँचाई 3700 से 4500 मीटर है। इसके ढालों पर कोणधारी वन तथा छोटे-छोटे घास के मैदान पाए जाते है। जिन्‍हें कश्‍मीर में मर्ग (गुलमर्ग, सोनमर्ग) उत्‍तराखण्‍ड में बुग्‍गल और पयार तथा मध्‍यवर्ती भागों में दून कहा जाता है। विवर्तनिकी दृष्टि से यह हिमालय श्रेणी प्रायः शांत है। भारत के अधिकांश प्रसिद्ध स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक स्‍थान या पर्यटन स्‍थल जैसे- शिमला, डलहौजी, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि लघु हिमालय के‍ निचले भाग में अर्थात् लघु हिमालय और शिवालिक श्रेणी के बीच में स्थित है। इसके अन्‍तर्गत कई छोटी-छोटी श्रेणियाँ है जैसे- पीरपंजाल श्रेणी, धौलाधार श्रेणी और महाभारत श्रेणी
     
    4.शिवालिक श्रेणी या बाह्य हिमालय | Shivalik range or outer Himalayas -
    शिवालिक श्रेणी लघु हिमालय के दक्षिण में अवस्थित है, इसका विस्‍तार पश्चिम में पंजाब से होकर पूर्व में कोसी नदी तक है। शिवालिक को जम्‍मू में जम्‍मू पहाड़ियाँ तथा अरूणाचल प्रदेश में डाफला और मिश्‍मी पहाड़ियाँ के नाम से जाना जाता है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला का नवीनतम भाग है, शिवालिक को लघु हिमालय से अलग करने वाली घाटियों को पश्चिम में दून या द्वार कहते है, जैसे- देहरादून, हरिद्वार

    three range of himalayas in map

    हिमालय का प्रादेशिक विभाजन | Territorial division of the Himalayas -

    1. पंजाब हिमालय या कश्‍मीर हिमालय (Punjab Himalaya or Kashmir Himalaya) - सिन्‍धु नदी तथा सतलुज नदी के मध्‍य अवस्थित यह पर्वतीय भाग जम्‍मू-कश्‍मीर तथा हिमाचल प्रदेश में विस्‍तृत है, इसमें लद्दाख, पीर पंजाल, जास्‍कर पर्वत श्रेणियाँ एवं रोहतांग तथा जोजिला दर्रा अवस्थित है।

    2- कुमायु हिमालय (Kumayu Himalaya) - सतलज तथा काली नदियों के बीच विस्‍तृत है। यह पंजाब हिमालय से अधिक ऊँचा है। भागीरथी और यमुना का उद्गम क्षेत्र इसी हिमालय से है। बद्रीनाथ, केदारनाथ इसकी प्रमुख चोटियॉ है। नंदा देवी कुमायु हिमालय का प्रमुख शिखर है, यह मुख्‍यतः उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य में स्थित है।

    3- नेपाल हिमालय (Nepal Himalaya) - यह पर्वत प्रदेश हिमालय का सबसे लम्‍बा प्रादेशिक भाग है, यह काली नदी से तिस्‍ता नदी तक लगभग 800 किलोमीटर की लम्‍बाई तक विस्‍तृत है। विश्‍व की सर्वोच्‍चतम पर्वत श्रृंखलाएं माऊन्‍ट एवरेस्‍ट, कंचनजंघा, धौलागिरी, मकालू आदि है।

    4- असम हिमालय (Assam Himalayas) - यह तिस्‍ता नदी से लेकर दिहांग ब्रह्मपुत्र तक 720 किलोमीटर लम्‍बाई तक फैला हुआ है। इस हिमालय में नागा पहाड़ियाँ, मिजो, खासी आदि पहाड़ियाँ है। इस भाग की प्रमुख नदियाँ दिहाँग, दिबांग, लोहित एवं ब्रह्मपुत्र है।

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